Friday, March 21, 2025
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हाथी समस्या और नक्सलवाद को सरकार खत्म नही करना चाहती, 14 जिले नक्सलवाद और 11 जिले हाथी समस्या से प्रभावित : कांग्रेस 

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** सरकार द्वारा वन्यप्राणियों के संरक्षण को लेकर कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है : कांग्रेस

रायपुर / छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में 15 वर्षो से काबिज सरकार द्वारा वन्यप्राणियों के संरक्षण को लेकर कोई कारगर एवं ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यही कारण है कि आज राज्य के 11 जिले हाथियों के कोहराम से प्रभावित है और वनवासियों को भय के साये में रात गुजारना पड़ता है। जिस तरह से राज्य के 14 जिलों में लोग नक्सलवाद के आंतक में जीवनयापन कर रहे है उसी तरह से 11 जिलों में हाथियों ने जीना मुश्किल किया हुआ है। हाथियों के समूहो द्वारा घरो को ध्वस्त किया जाता है, फसलो को रौंदा जाता है और जो इंसान इनके सामने आ गया तो उसे कुचलकर मार दिया जाता है।

वन विभाग और सरकार को हाथी समस्या एवं नक्सलवाद उन्मूलन से कोई खास लेना देना नहीं है। बल्कि यह कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का साधन बन चुका है। बजट निर्धारित है जो समस्याओं के साथ बढ़ रहा है। सरकार एवं विभाग द्वारा समय-समय पर आपरेशन तेज कर दिया जाता है और यह बताने का प्रयास किया जाता है कि सरकार इसे गंभीरता से ले रही है और फिक्रमंद है। अब वन विभाग ने हाथियों की निगरानी का काम सेटेलाईट कॉलर आईडी से करने का निर्णय लिया है और इस दिशा में आपरेशन रेडियो कॉलरिंग किया जा रहा है। इसके अलावा हाथी राहत पुर्नवास केंद्र में बिगड़ेल हाथियों को समान्य व्यवहार करने को लेकर ट्रेंड किया जायेगा। पर क्या इससे हाथियों द्वारा किये जा रहे नुकसान से बचा जा सकता है या फिर यह भी केवल कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का पर्याय साबित होगा, यह देखना होगा। अभी भी केवल प्रयोग के तौर पर ही अभियान चल रहा है, कोई पुख्ता कार्यवाही नही हो रही है। करोड़ो की चलायी गयी गजराज परियोजना एवं जामवंत परियोजना भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गयी और इसका कोई लाभ नहीं मिला है। 

विशेषज्ञो का मानना है कि हाथी बाहुल्य वन क्षेत्रों में खदाने चल रही है। बाक्साइड, लोहा एवं कोयला खदानो से और वहां चल रहे मशीनो, गाड़ियों से उन्हें काफी व्यवधान होता है। बचे इलाको में विद्युत उत्पादन संयत्र, बिजली टॉवर, मोबाईल टॉवर, सड़क बनने का कार्य हो रहा है तो वन्यजीव कहां जायेंगे। वे तो भयभीत है, गुस्से में है इसलिये हमले कर रहे है। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा तक फैले कोरीडोर में कई तरह के रोड़े उत्पन्न किये जा रहे है। जो हाथियों की समस्या बढ़ा रहे है। जानवरो का रिहाईशी इलाको में घुसने का मुख्य कारण भी यही बताया जा रहा है। 

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि हाथी समस्या और नक्सलवाद को सरकार खत्म नहीं करना चाहती है। सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति होती तो इतने छोटे राज्य में या समस्या इतनी बड़ी नही बन सकती थी। जिस राज्य में सैकड़ो करोड़ खर्च कर दस वर्षो में 45 करोड़ पौधा का वृक्षारोपण किया जाता है। फिर भी वहां के वन क्षेत्र में 3700 वर्ग किलोमीटर की कमी आये तो वहां के वनो में वन्यजीवो को कैसे संरक्षित रखा जा सकता है। हाथियों के संरक्षण को लेकर यह सरकार की लापरवाही को उजागर करती है। सरकार द्वारा उद्योगपतियो एवं पूंजीपतियो को लाभ पहुंचाने के लिये स्थानिय समस्याओं को नजर अंदाज कर राज्य को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। 

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