नई दिल्ली / 104 साल बाद 27 जुलाई को दुलर्भ चंद्रग्रहण लगने जा रहा है, जिसका चार राशियों पर खास असर रहेगा. इस बार चंद्रग्रहण 27 जुलाई को पड़ेगा, जो 21वीं सदी का सबसे लंबा और पूर्ण चंद्रग्रहण होगा. आषाढ़ मास की पूर्णिमा को खग्रास चंद्रग्रहण होगा. यह चंद्र ग्रहण 1 घंटा 43 मिनट तक रहेगा और यह भारत, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिम एशिया, आस्ट्रेलिया और यूरोप में दिखेगा. इससे पहले 31 जनवरी 2018 को पहला चंद्रग्रहण लगा था. जुलाई के चंद्रग्रहण के लिए कहा जा रहा है कि यह ‘ब्लडमून’ होगा. जनवरी में विभिन्न देश के लोगों को ‘ब्लडमून’, ‘सुपरमून’ और ‘ब्लूमून’ की एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिली थी.
सुपरमून एक आकाशीय घटना है. इसमें चंद्रमा अपनी कक्षा में धरती के सबसे नजदीक होता है और पूर्ण चंद्रमा को साफ देखा जा सकता है.
चंद्रमा माहिने में दो बार पूरा दिखता है. जब दूसरी बार चंद्रमा दिखता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं. वहीं चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद काला दिखाई देता है. इसी चंद्रग्रहण के दौरान कुछ सेकंड के लिए चंद्रमा पूरी तरह लाल भी दिखाई देगा. इसे ब्लड मून कहते हैं.
बताया जाता है कि जब सूर्य की रोशनी स्कैटर होकर चंद्रमा तक पहुंचती है तो परावर्तन के नियम के अनुसार हमें कोई भी वस्तु उस रंग की दिखती है जिससे प्रकाश की किरणें टकरा कर हमारी आंखों तक पहुंचती हैं. यही कारण है हमें चंद्रमा लाल दिखता है और इसी को ब्लड मून कहते हैं.
चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी, सूर्य व चन्द्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है. इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चंद्रमा तक पहुंचने में रोक लगा देती है. इसके बाद पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्र ग्रहण नजर आता है.