ग्रांउड रिपोर्ट विजय शर्मा – कोण्डागावं / यह क्षेत्र शिक्षा मंत्री केदार कश्यप का विधानसभा क्षेत्र है और जिले का अंतिम गांव भी हडेली जंहा के प्रा.शा. व मा.शा. के स्कुल मे मात्र एक 1 – 1 शिक्षक और 88 छात्र है। शिक्षक एक ही है जो भी कभी – कभी ही आते है। बरसात के दिनों में तो कई दिनों तक सडक खराब व नदी नालों में पानी भर जाने की वजह से शिक्षक नही पहुच पाते है।
गांव के बच्चों को शिक्षा से वंचित होता देख पिछले एक माह से आई.टी.बी.पी ने इस स्कुल को गोद ले रखा है। आईटीबीपी के चार जवान बच्चों को शिक्षा देने रोज स्कुल समय पर पहुच जाते है मगर उनकी सुरक्षा में दर्जनों जवानों को लगाया जाता है। दरअसल जो जवान स्कुल के अन्दर प्रवेश करते है उनका कहना है की बच्चों के सामने व शिक्षा के इस मंदीर में शस्त्र रखना ठीक नही है। जवानों को सुरक्षा मिले इसके लिए दर्जनों जवाना को स्कुल परिसर को घेरा बनाकर रखना पडता है जब तक की स्कुल की छुटी न हो जाये ।

बंदुको के साये में शिक्षा – जब जवान अंदर बच्चे को पढाते है तो बाहर एन्टीलैन्ड माईन के साथ आधा दर्जन जवान बंदुको से लैस हो कर स्कुल के बाहर शिक्षा देते है। इन जवानों को सुरक्षा प्रदान करना पडता है नक्सल ईलाका होने की वजह से जवान को स्कुल परिसर को घेर कर रखना पडता है।
शिक्षा के मंदीर में हथियार नही ले जाते जवान – इसका बडा कारण है कि ये जवान स्कुल के अंदर बिना हथियार जाते है क्योकि वे नही चाहते शिक्षा के मंदीर में हथियार जाये व बच्चों में इसका कोई गलत संदेश पहुचें। इसलिए जो जवान स्कुल में बच्चों को पढाते है वे बीना हथियार के रहते है।

ये है शिक्षा का हाल – प्राथमिक और माध्यमिक शाला में 88 छात्र/छात्राऐ है और 2 शिक्षक वो भी कभी कभार ही आते है दोनो स्कुलो में पिछले माह से यहां आई.टी.बी.पी के जवान रोहित नेगी व सुर्कर सिंह, सिकंदर सिंह, जगाराम यादव सुबह 10 से शाम 4 बजे तक पढाते है। शिक्षा के साथ -साथ छात्र – छात्राओं को खेल जुडो – करेाटे भी सिखा रहे है। आईटीबीपी के जवानों के इस पहल के बाद यंहा दर्ज संख्या भी पुर्व से बड़ गया है। पहले स्कुल में 30 दर्ज संख्या थी अब बडकर 88 हो गई है।
सुरेन्द्र खत्री कमांडेट आईटीबीपी 41 बटालियन – रूटीन गस्त के दौरान हमने देखा की इस गांव तक पहुचने के लिए सड़क नही है यंहा के बच्चों में पढने की ललक है मगर पढाने वाले शिक्षकों की कमी है। पता किया तो पाया की दोनों स्कुलों में एक – एक शिक्षक है वो भी कभी – कभी ही आते है। हमने सोचा की चार जवानों को इन बच्चों को पढाने के जिम्मा दिया जाये ताकी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके व नक्सली आगे चलकर इनकी अशिक्षा का लाभ न उठा सके। शिक्षा के साथ बच्चों को अपने सुरक्षा के लिए जुडो कराटे भी सिखा रहे है।
