जगदलपुर से सुधीर जैन की कलम / छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के सत्तासीन होते ही बस्तर से कौन-कौन मंत्री होंगे, इस विषय को लेकर कयास शुरू हो गये हैं। यह तो तय है कि बस्तर में पूर्व परिपाटी के चलते दो विधायकों को मंत्रीमंडल में स्थान दिया जायेगा। बस्तरवासियों में इस बात को जिज्ञासा बनी हुयी है कि, मंत्री पद की वरमाला किसके गले पड़ेगी, कवासी लखमा, रेखचंद जैन, मनोज मंडावी या फिर लखेश्वर बघेल के।
लगातार पांचवी बार चुनाव जीते हैं कवासी लखमा –पांच बार लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे कोंटा विधायक कवासी लखमा मंंत्री पद के सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं। कवासी लखमा पूर्व में नेता प्रतिपक्ष का पद बखूबी सुशोभित कर चुके हैं। उनका कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा है। निसंदेह प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका में वे सदैव सदन में छाये रहते थे। कवासी लखमा वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हंै, इसीलिए उन्हें बस्तर की प्रत्येक जन समस्याओं का जमीनी ज्ञान है। लखमा प्रखर वक्ता के साथ-साथ सहज, सरल, मिलनसार, हंसमुख एवं वाकपटु जैसी खूबियों से लबालब हैं। राजनैतिक कुशाग्रता सहित समस्याओं को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने की कला में भी परिपक्व तथा माहिर हैं। प्रत्येक चुनाव में ऐसा होता है कि निरंतर जीतने वाले उम्मीदवार की लोकप्रियता का ग्राफ शनै:-शनै: गिरता है, किंतु 197 वोट से चुनाव जीतते हुए इस दफा वे 5500 वोट से विजयश्री का वरन् कर, अपनी लोकप्रियता का पैमाना बढ़ाने में सफल रहे हैं।
गृह राज्य मंत्री का पद सुशोभित कर चुके हैं मनोज मंडावी – इधर उत्तर बस्तर को प्रतिनिधित्व दिये जाने पर वरिष्ठ कांग्रेसी एवं भानुप्रतापपुर के विधायक मनोज मंडावी की दावेदारी पुख्ता बनती है। मनोज मंडावी साल 2003 तक अजीत जोगी के मुख्यमंत्रीत्व काल में ग्रहराज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद को सुशोभित कर, इस पर आसीन रहते हुए बड़ी ही समझबूझ से अपने दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। वर्तमान में वे आदिवासी राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद पर भी काबिज हैं। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कांग्रेसमय रही है। इनके पिता प्राचीन कांग्रेस काल में विधायक जैसे गुरूत्वर पद पर रह चुके हैं। छात्र जीवन से सक्रिय राजनीति से जुड़े मनोज मंडावी तजुर्बेकार वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं। मनोज मंडावी लगातार तीन बार विधायक के लिए चुनते आये हैं।
सामान्य वर्ग से रेखचंद को प्रतिनिधित्व दिए जाने की उठ रही मांग – बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां गैर आदिवासियों का प्रतिशत भी कम नहीं है। विकास व कल्याण की प्राय: जितनी भी योजनायें बनती हैं, वो करीब-करीब आदिवासी हितों को ध्यान में रखकर गढ़ी जाती हैं। सामान्य वर्ग के लोग अक्सर इन योजनाओं से महरूम रह जाते हैं। सामान्य वर्ग के लोगों की मांग है कि, हमारी समस्याओं को मजबूती प्रदान करने, बस्तर की इकलौती सामान्य सीट से विजयी हुए रेखचंद जैन को मंत्रीमंडल में स्थान दिया जाये। बस्तर की 11 सीटों के आरक्षण के बाद, बस्तर से सामान्य वर्ग को कभी भी मंत्रीमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। दूसरे शब्दों में कहें तो बस्तर का सामान्य वर्ग, सदैव ही राजनैतिक उपेक्षा का शिकार रहा है। कांग्रेस को नई परिपाटी की बुनियाद रखते हुए इस वर्ग को भी वरीयता देनी चाहिए। इस लिहाज से मध्य बस्तर से एक मात्र सामान्य विधायक रेखचंद की दावेदारी प्रबल बनती है। रेखंचद जैन वरिष्ठ कांग्रेसी तो हैं ही, साथ ही लोकप्रियता एवं मिलनसारिता के गुणों से भी परिपूर्ण हैं।
लखेश्वर बघेल सर्वाधिक मतों से जीतने वाले विधायक हैं – वैसे मंत्री बनने का हक बस्तर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार जीते विधायक लखेश्वर बघेल का भी बनता है। इस बार उन्होंने बस्तर के सर्वाधिक 33500 मतों से जीतने वाले विधायक का रिकार्ड बनाया है, निसंदेह यह उनकी लोकप्रियता एवं सक्रियता का परिचायक है।
