नई दिल्ली / गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का लंबी बीमारी के बाद रविवार 17 मार्च 2019 को निध्ान हो गया. वह 64 वर्ष के थे.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. इससे कुछ समय पहले ही सीएमओ ऑफिस ने ट्वीट कर बताया था कि उनकी हालत गंभीर थी. डॉक्टर अपनी ओर से इलाज की पूरी कोशिश कर रहे थे. उनके निधन की खबर सुनते ही उनके घर के बाहर लोगों का हुजूम लग गया.
आप को बता दें कि मनोहर पर्रिकर एक साल से ज्यादा समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. उनका अमेरिका, मुंबई और दिल्ली में इलाज भी हुआ. अभी गोवा में ही उनका इलाज हो रहा था. गोवा की राजधानी पणजी में उनके घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है. उनके आवास पर गोवा कैबिनेट के मंत्रियों का पहुंचना शुरू हो गया है.
मनोहर पर्रिकर का जन्म गोवा में 13 दिसंबर 1955 को हुआ. सबसे पहले वह वर्ष 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने थे. वह 2005 तक सीएम रहे. इसके बाद वह 2012 से 2014 तक फिर से मुख्यमंत्री रहे. 2014 में वह केंद्र में मुख्यमंत्री बने.
मोदी ने सरकार बनते ही उन्हें रक्षामंत्री बनाया गया ये उनकी कार्यशैली का कही कमाल था कि जैसे ही नरेंद्र मोदी पीएम बने, उन्होंने रक्षामंत्री जैसा अहम पद मनोहर पर्रिकर को सौंपा. हालांकि बाद में उन्हें फिर से गोवा की राजनीति में लौटना पड़ा. इसके कुछ दिनों बाद ही वह बीमार हो गए. उनकी बीमारी के साथ ही गोवा में भारी राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है. कांग्रेस ने गोवा में सरकार बनाने का दावा पेश किया हुअा है. उनकी बीमारी का बहाना बनाकर कांग्रेस की ओर से कई बार आरोप भी लगाए गए. इसके बाद पिछले दिनों उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ था. वह कुछ जगह सार्वजनिक रूप से भी दिखाई दिए थे. हालांकि नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर बीजेपी ने पर्रिकर पर ही भरोसा दिखाया. तमाम दबाव के बावजूद उन्हें सीएम पद से नहीं हटाया गया।
मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते थे. सोशल मीडिया और तकनीकी के नए दौर में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ‘आम आदमी’ की तरह लोगों के बीच खूब सुर्खियां बटोरी थीं. लेकिन, अगर वास्तव में सादगी की कोई मिसाल है तो वह थे गोवा के सीएम और पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर. दरअसल, हम ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि मनोहर पर्रिकर ने गोवा का सीएम रहते हुए कई साल तक मुख्यमंत्री आवास का इस्तेमाल नहीं किया. वह खुद के घर में ही रहते थे. पर्रिकर की छवि लोगों के बीच एक ईमानदार नेता के रूप में आज भी बनी हुई है. वह वर्ष 2000 में गोवा के सीएम बने थे.
मनोहर पर्रिकर जैसे साधारण व्यक्ति के असाधारण व्यक्तित्व का हर कोई कायल था. गोवा के मुख्यमंत्री रहते हुए पर्रिकर कई बार विधानसभा जाते समय सरकारी गाड़ी को छोड़कर स्कूटर का इस्तेमाल करते थे. इसके साथ ही वह बिना सुरक्षा के किसी भी टी स्टॉल पर खड़े होकर चाय पीते भी नजर आ जाते थे. पर्रिकर की यह आदतें गोवा के लोगों के लिए एक आम बात थी. वहीं, सीएम और रक्षा मंत्री रहते हुए उनकी छवि एक बेदाग नेता की रही. पर्रिकर की इसी बेदाग छवि के कारण ही पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें रक्षा मंत्री बनाया था. पर्रिकर नवंबर 2014 से 13 मार्च 2017 तक केंद्रीय रक्षामंत्री रहे थे.
मनोहर पर्रिकर अपनी साधारण वेशभूषा के लिए भी जाने जाते थे. पर्रिकर आमतौर पर शर्ट-पैंट में नजर आते थे. जब तक किसी बड़ी ऑफिशियल मीटिंग में न जाना हो वह साधारण कपड़े पहनना ही पसंद करते थे. अपने बेटे की शादी में में पर्रिकर हाफ शर्ट, साधारण पैंट और सैंडिल पहने लोगों की आवभगत कर रहे थे. वहीं, मनोहर पर्रिकर को सोलह से अठारह घंटे काम करने की आदत थी.
पर्रिकर विमान में हमेशा ही इकॉनमी क्लास में यात्रा करते थे. उन्हें आम लोगों की तरह अपना सामान लिए यात्रियों की लाइन में खड़े देखा जा सकता था. वह मोबाइल और टेलीफोन के बिल का भुगतान अपनी जेब से करते थए. उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेझिझक इस्तेमाल करते देखा जाता था. पर्रिकर को नजदीक से जानने वाले लोग उनकी इन आदतों को बहुत अच्छी तरह से समझते थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से देश के रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे मनोहर पर्रिकर की उनके तटीय गृह राज्य गोवा में छवि एक सीधे सादे, सामान्य व्यक्ति की रही है. 63 वर्षीय पर्रिकर ने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री के तौर पर तीन वर्ष सेवाएं दीं. बीजेपी के सभी वर्गों के साथ ही विभिन्न पक्षों के बीच लोकप्रिय पर्रिकर ने लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहे गोवा में बीजेपी का प्रभाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी.
एक मध्यमवर्गीय परिवार में 13 दिसंबर 1955 को जन्मे पर्रिकर ने संघ के प्रचारक के रूप में अपना राजनीतिक करियर आरंभ किया था. उन्होंने आईआईटी-बंबई से इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद भी संघ के लिए काम जारी रखा. पर्रिकर ने बहुत छोटी उम्र से आरएसएस से रिश्ता जोड़ लिया था. वह स्कूल के अंतिम दिनों में आरएसएस के ‘मुख्य शिक्षक’ बन गए थे. पर्रिकर ने संघ के साथ अपने जुड़ाव को लेकर कभी भी किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं की. उनका संघ द्वारा आयोजित ‘‘संचालन’’ में लिया गया एक फोटोग्राफ इसकी पुष्टि करता है, जिसमें वह संघ के गणवेश और हाथ में लाठी लिए नजर आते हैं. आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 26 साल की उम्र में मापुसा में संघचालक बन गए. उन्होंने रक्षा मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना के सर्जिकल हमले का श्रेय भी संघ की शिक्षा को दिया था. ऐसा माना जाता है कि राज्य के सबसे पुराने क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी’ की बढ़त रोकने के लिए बीजेपी ने पर्रिकर को राजनीति में खींचा. पर्रिकर ने चुनावी राजनीति में 1994 में प्रवेश किया, जब उन्होंने पणजी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता. वह जून से नवंबर 1999 तक गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और उन्हें तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार के खिलाफ उनके भाषणों के लिए जाना जाता था. वह पहली बार 24 अक्टूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका कार्यकाल केवल 27 फरवरी 2002 तक ही चला. इसके बाद पांच जून, 2002 को उन्हें फिर से चुना गया और उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दीं. चार बीजेपी विधायकों के 29 जनवरी, 2005 को सदन से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई. इसके बाद कांग्रेस के प्रतापसिंह राणे, पर्रिकर की जगह गोवा के मुख्यमंत्री बने. पर्रिकर के नेतृत्व वाली बीजेपी को 2007 में दिगम्बर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा. बहरहाल, वर्ष 2012 राज्य में पर्रिकर की लोकप्रियता की लहर लेकर आया और उन्होंने अपनी पार्टी को विधानसभा में 40 में से 21 सीटों पर जीत दिलाई. वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने. बीजेपी की जीत की लय वर्ष 2014 में भी बनी रही जब पार्टी को आम चुनाव में दोनों लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई. केंद्र में मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण करने के बाद पर्रिकर को नवंबर 2014 में रक्षा मंत्री का पद दिया गया. वह 2017 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे. गोवा विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुमत हासिल नहीं कर पाने पर वह मार्च 2017 में राज्य लौटे और गोवा फॉरवर्ड पार्टी एवं एमजीपी जैसे दलों को गठबंधन सहयोगी बनाने में कामयाब रहे. राज्य में एक बार फिर उनकी सरकार बनी. फरवरी, 2018 के बाद से उनकी तबियत खराब रहने लगी. उन्हें तब अग्नाशय संबंधी बीमारी के उपचार के लिए मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. वह मार्च के पहले सप्ताह में इलाज के लिए अमेरिका गए जहां वह जून तक अस्पताल में रहे. राज्य लौटने के बाद पर्रिकर ने फिर से काम करना आरंभ कर दिया और वह 12 दिवसीय विधानसभा सत्र में भी शामिल हुए. अगस्त के दूसरे सप्ताह में वह फिर से उपचार के लिए अमेरिका गए और कुछ दिनों बाद लौटे. वह फिर से अमेरिका गए और इस बार वहां से लौटने पर उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया. पिछले कुछ समय से वह अपने डाउना पौला के अपने निजी आवास तक ही सीमित थे और यहीं पर उन्होंने आज अंतिम सांस ली.