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मोदी सरकार ने छीना, ग़रीबों का भोजन – संजीव अग्रवाल

रायपुर / जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रवक्ता व मीडिया समन्वयक और समाजसेवी, संजीव अग्रवाल ने मोदी सरकार की नियत और नीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सालों से छत्तीसगढ़ में जो दाल – भात केंद्र ग़रीबों के लिए खुलवाए गए थे जिसमें ग़रीबों को ₹5 में दाल – भात मुहैया करवाया जाता था, उससे उनका पेट भरता था। लेकिन नई नवेली भूपेश सरकार ने अब उन्हें बंद कर दिया है और हवाला दिया है कि मोदी जी ने ₹2 किलो जो चावल छत्तीसगढ़ को केंद्र द्वारा आवंटित होता था, उसे बंद कर दिया है।

संजीव ने कहा कि, अब यह तो लाज़मी है कि छत्तीसगढ़ में अपनी करारी हार के बाद भाजपा ज़मीन तलाशने में लगी हुई है लेकिन मोदी जी ने जिस प्रकार से अपनी विश्व गुरु की छवि बनाई है वह पूरी तरह से खोखली प्रतीत होती है, क्योंकि इस बार उन्होंने प्रति-शोध लेते हुए सीधा छत्तीसगढ़ की ग़रीब जनता के पेट पर लात मारा है।

संजीव अग्रवाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी जो कि अपने आप को कभी चाय-वाला तो कभी चौकीदार तो कभी ग़रीब का बेटा और ना जाने क्या क्या संज्ञा देते हैं, उन्होंने इस बार छत्तीसगढ़ के ग़रीब मज़दूर व मजबूर जनता के मुंह से उनका निवाला छीन लिया है क्योंकि उन्होंने केंद्र से आवंटित होने वाले चावल पर रोक लगा दी है। अब एक तरफ नई नवेली भूपेश सरकार ने यह कहा है कि इस दाल – भात केंद्र की योजना में बहुत बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा था और दूसरी तरफ केंद्र ने ₹2 प्रति किलो चावल का आवंटन छत्तीसगढ़ को जो होता था उसे रद्द कर दिया है, तो अब देखने वाली बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की इस रशा कशी में छत्तीसगढ़ का मज़दूर और मजबूर व्यक्ति पिस रहा है, क्योंकि उसको ₹5 में जो भोजन के रूप में दाल – भात मिलता था, वह अब राज्य सरकार द्वारा बंद कर दिया गया है वजह चाहे जो भी हो नुकसान उस बेचारे मजबूर और मज़दूर व्यक्ति का हुआ है जो कि ग़रीबी रेखा से नीचे है और रोज़ काम करके कमाता है।

संजीव अग्रवाल ने मांग किया है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अगर कहती है कि इस योजना में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है तो उस घोटाले की तत्काल जांच हो और दोषियों को सीधा जेल की सलाख़ों के पीछे भेजा जाए। लेकिन कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था बनाकर ग़रीबों का भोजन ना रोका जाए और यह दाल – भात केंद्र की योजना को पुनः शुरू किया जाए। इसके लिए भूपेश सरकार को चुनाव आयोग की सहमति लेकर कलेक्टर के निगरानी में इस योजना को जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए ताकि ग़रीब मज़दूरों को उनका अधिकार मिल पाए।

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