राजनांदगांव / यादव समाज के लिए ऑडिटोरियम पहले ही आरक्षित हो गया था जिसमे मुख्यमंत्री बतौर अतिथि आने वाले थे।
इसे सरकार बदलने के कारण का रूप देना पूरी तरह राजनीतिक रूप देने के समान है क्योंकि प्रतियोगिता आयोजन की कोई सुगबुगाहट न तो जनमानस में थी और ना समाचार पत्रों में जबकि मुख्यमंत्री साहब वाला आयोजन पूर्व निर्धारित थी। रही बात राजगामी के आर्थिक मदद की तो आयोजक पहले पर्याप्त अवधि में सूचना देते तो नियमानुसार स्वीकृति हेतु प्रस्ताव की बात होती पर आयोजक सुनियोजित रूप से 2 लाख की राशि की मांग करते आनन फानन में आवेदन दिए। आयोजक वहाँ भी असफल हुए है क्योंकि उनकी मंशा आयोजन करने की थी ही नही।
साथ ही मधुबन दास वैष्णव की मृत्यु भी आयोजन नही कराने का एक कारण है क्योकि उनकी सक्रियता समय से काफी पूर्व प्रारम्भ हो जाती थी हर विभाग और शहर की जनता को इस आयोजन में निस्वार्थ जोड़ने का काम वे ही करते थे किंतु कुछ वर्षों से इस आयोजन में राजनीति हावी होने से वे दुखी भी थे उनकी सक्रियता से ही आयोजन चल रहा था और वे जब नही है तो कोई सुध लेने वाला नही इसी के चलते आयोजन नही हुआ पर राजनीति करण के लिए मुख्यमंत्री के नाम को घसीटा जा रहा है।
