00 मंत्री जयसिंह और विधायक अंबिका सिंहदेव भी नही दिला सके जिपं अध्यक्ष को जीत
00 वर्तमान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों को हराया भाजपा की चुन्नी पैकरा ने
00 रेणुका या चुन्नी पैकरा में से चुना जायेगा अध्यक्ष
कोरिया / पंचायती चुनाव के तहत अंतिम दौर का मतदान 3 फरवरी को संपन्न हुआ,कोरिया जिले में अंतिम चरण में कुल 4 जिला पंचायत सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है।
अंतिम चरण के चुनाव परिणाम की अधिकृत घोषणा तो नही हुई है लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार 4 सीटों के चुनाव में 3 भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत हुई है। जिसके बाद 10 सदस्यीय कोरिया जिला पंचायत में कुल 5 सदस्य भाजपा समर्थित हो गये हैं जबकि प्रदेष की सत्ता में काबिज कांग्रेस को मात्र 3 सीट पर संतोष करना पड़ा है। जिले में कांग्रेस के तीन विधायक होने के बाद भी कांग्रेस का अधिक सीट न आ पाना विधायकों के कार्यप्रणाली पर सवालिया निषान है।
कोरिया जिले में कुल 10 जिला पंचायत की सीटें हैं इनमें से पहले चरण के चुनाव में भाजपा समर्थित विजय राजवाड़े और सुनीता कुर्रे, कांग्रेस सर्मिर्थत ज्योत्सना पुष्पेन्द्र राजवाड़े और निर्दलीय के रूप में वेदंाति तिवारी ने जीत हासिल की थी। दूसरे चरण के चुनाव में गोंगपा समर्थित फूलमति और कांग्रेस समर्थित रविषंकर की जीत हुई। रविषंकर तीसरी बार जीत हासिल करके जिला पंचायत पहंुचे हैं। बताया जाता है कि कांगेस द्वारा जरूर उन्हे समर्थन दिया गया था लेकिन रविषंकर द्वारा कहीं भी कांग्रेस के नाम पर वोट नही मांगा गया। स्थानीय विधायक से व्यक्तिगत रूप से विरोध की खबरें भी मिल रही हैं। रविषंकर खुद को कांग्रेसी बताने से भी परहेज करते नजर आ रहे हैं।
इसी प्रकार अंतिम चरण में कुल 4 सीटों पर चुनाव संपन्न हुआ जिसमें कि बेहतर प्रदर्षन करते हुए भाजपा ने 3 सीटों पर विजय हासिल की। इस चुनाव में भाजपा समर्थित दृगपाल सिंह,चुन्नी पैकरा और रेणुका सिंह की जीत हुई है जबकि कांग्रेस समर्थित उषा सिंह की जीत हुई है जो कि राज्यमंत्री गुलाब कमरो की बहन है। यहां यह बताना जरूरी है कि भाजपा ने उषा सिहं के खिलाफ उर्मिला नेताम को मैदान में उतारा था लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा उर्मिला नेताम का विरोध करने के कारण उन्हे हार का सामना करना पड़ा।
चुन्नी पैकरा ने मारी बाजी,अध्यक्ष,उपाध्यक्ष को हराया – क्षेत्र क्रमांक 10 से भाजपा ने चुन्नी पैकरा को मैदान में उतारा था, इसी सीट से वर्तमान अध्यक्ष कलावती मरकाम और उपाध्यक्ष सरोजनी कमरो मैदान में थी लेकिन चुन्नी पैकरा ने दोनों को हराकर जीत हासिल की है। इस आधार पर चुन्नी पैकरा को भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार भी बना सकती है। हलांकि पार्टी सूत्रों के अनुसार कुछ भाजपा नेता सीट क्रमांक 9 से विजयी रेणुका सिंह को अध्यक्ष बनाये जाने के पक्षधर हैं। कोरिया जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार भी एसटी महिला के लिये आरक्षित है इसलिए अध्यक्ष पद पर ताजपोषी एक बार फिर महिला सदस्य की ही होगी।
मंत्री जयसिंह अग्रवाल,और विधायक अंबिका का नही चला जादू –
पहले और दूसरे चरण के चुनाव में कम सदस्य आने के बाद बताया जाता है कांग्रेस नेताओं के होस उड़ गये। जिला पंचायत मंे सरकार न बनते देख आखिरकार मंत्री जयसिंह अग्रवाल को बुलाया गया और उन्हे खड़गंवा क्षेत्र क्रमांक 10 से चुनाव लड़ रहीं वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती मरकाम के प्रचार में लगाया गया साथ ही विधायक अंबिका सिंहदेव ने भी तमाम कांग्रेसी नेताओं के साथ मिलकर इस क्षेत्र में प्रचार किया इसके बाद भी कलावती मरकाम को जीत नही मिल सकी। बताया जाता है कि कांग्रेस शासन काल के बीते एक वर्ष में जिस प्रकार से जनता में नाराजगी है किसान धान बेचने को लेकर परेषान है उसी का असर पंचायत चुनाव में देखने को मिला है। जिसके कारण पिछले बार की तुलना में कांग्रेस के इस बार मात्र 3 सदस्य ही जीत सके। जिले के तीन विधायक भी मिलकर कांग्रेेस को स्पष्ट बहुमत नही दिला सके जो कि उनके कार्यप्रणाली पर सवालिया निषान है।
उपाध्यक्ष के लिए होगा जोर आजमाईष, वेदांति पर टिकी निगाह – जिला पंचायत में भाजपा ने भले ही 5 सीटों पर जीत हासिल कर ली है लेकिन उसे अभी अपना अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनाने के लिए 1 सदस्य के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में सबकी निगाह निर्दलीय वेदंाति तिवारी की तरफ है। बताया जाता है भाजपा नेताओं के द्वारा वेदांति तिवारी से संपर्क भी किया जा रहा है। इसकी भी संभावना है कि भाजपा अध्यक्ष पद अपने पास रख ले और बदले में वेदंाति तिवारी से समर्थन लेकर उन्हे उपाध्यक्ष पद से सकती है हलांकि यह मात्र कयास ही है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े अपने पुत्र विजय राजवाड़े को जीत दिलाने के बाद उपाध्यक्ष बनाने के जुगत में हैं। यदि भाजपा एक और सीट पर विजय प्राप्त कर लेती तो उसे ज्यादा कठिनाई नही होती लेकिन कुल 5 सदस्य होने के कारण अभी गुणा गणित करना पड़ेगा। राजनीति में कुछ कहा नही जा सकता। राज्य में कांग्रेस की सत्ता है और कांग्रेस सत्ता का फायदा भी उठाना चाहेगी । बताया जाता है कुछ कांग्रेसी नेता तोड़ फोड़ में लगे हुए है। जनता द्वारा नकार दिये जाने के बावजूद वे सदस्यों से संपर्क साध रहे हैं और ऐन केन प्रकार से अध्यक्ष बनाने की जुगत में हैं लेकिन उनका कदम कितना कारगार साबित होता है यह तो वक्त ही बतायेगा।
कांग्रेसियों को आत्मअवलोकन की जरूरत –
पंचायती चुनाव में इस बार काफी कुछ उलटफेर हुआ है। सत्ता में होने के बावजूद वर्तमान स्थिति के अनुसार कांग्रेस का जिला पंचायत से कब्जा खत्म हो गया है। साथ ही जनपदों में अधिकांश स्थानों पर भाजपा प्रत्याषियों की जीत हुई है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि जिले के कांग्रेसी विधायक और नेताओं को आत्म अवलोकन करना होगा। आखिर क्या कारण है कि एक वर्ष में ही जनता का उनसे मोह भंग हो गया है। आज स्थिति यह हो गई है कि कोई कांग्रेसी नेता जनता की समस्याओं को दूर करना तो दूर उन्हे सुनना तक नही चाहता। हर जगह हाय हाय की स्थिति देखी जा रही है। कांग्रेसी कार्यकर्ता हर छोटे मोटे निर्माण कार्य में ठेकेदारी करते देखे जा रहे हैं। अधिकारी कर्मचारी इनसे त्रस्त है। किसान धान बेचने के लिए परेशान हैं, विकास कार्य ठप्प पड़ गया है। मूलभूत सुविधाओं के लिए जनता परेषान हो रही है। यही सब कारण है कि पंचायती चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है।
बहरहाल अभी वक्त है यदि उनकी कार्यप्रणाली मेे सुधार आ जाये तब तो ठीक है नही तो वक्त है बदलाव का नारा अब कांग्रेसियो पर ही उल्टा पड़ने वाली स्थिति देखी जा रही है। हर कहीं लोग बस 2023 केे विधानसभा चुनाव का अभी से इंतजार करते देखे जा रहे हैं।
