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चिरिमिरी जलाशय जहाँ 8 वर्ष मेंं 16 करोड़ खर्च – काम अधूरा, पर्यावरण क्लीयरेंस मिला नही तो अब काम बंद

कोरिया / खड़गवां के आधा दर्जन गांवों के 2 हजार से अधिक किसानों को सिंचाई का लाभ देने के लिए तैयार किया जा रहा चिरमिरी जलाशय परियोजना में बांध का निर्माण आठ साल बाद भी अधूरा है और 2 वर्ष से यहां काम बंद है।

जल संसाधन विभाग के अनुसार इस सिंचाई परियोजना में 16 करोड़ से अधिक खर्च किया चुका है। लेकिन यहां बांध पर नहर का निर्माण तक पूरा नहीं हो पाया है।

इस मामले में जल संसाधन विभाग के अफसरों का कहना है कि पर्यावरण क्लीयरेंस न मिलने के कारण दो साल से बांध का काम बंद है। 30 करोड़ राशि स्वीकृति के लिए राज्य शासन को रिवाइज्ड एस्टीमेट भेजा गया है। इधर आठ साल से निर्माण अधूरा होने के कारण ग्रामीणों का आरोप है कि जल संसाधन विभाग ने इस परियोजना के निर्माण कराने से पहले सर्वे में नहरों के लिए ली गई जमीन का मुआवजा नहीं दिया है। जिस कारण किसान मुआवजा सहित अपने जमीन पर खेती करने के लिए तरस रहें हैं। बता दें कि डोमनहिल सोनावनी के पहाड़ों की तराई में बनने वाले इस परियोजना के पूर्ण होने से करीब 707 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई 15 किमी के परीधि में की जा सकती थी। जिससे प्रत्येक वर्ष होने वाले सूखे से किसानों को राहत मिलती। वही चिरमिरी वासियों को भी इस जलाशय से पेयजल की सप्लाई की जा सकती थी। जानकारों का कहना है कि डैम के बनने के बाद क्षेत्र के भू जल स्तर में भी सुधार होगा। इससे बंद पड़े हैंडपंप और कुएं भी रीचार्ज हो जाएंगे। इससे आसपास के गांवों में भी पानी की किल्ल्त दूर हो जाएगी।


काम पूरा तो किसान ले सगेंगें दोहरी फसल


16 करोड़ खर्च करने के बाद, राज्य सरकार से दोबारा प्राक्कलन तैयार कर इसके अतिरिक्त 30 करोड़ राशि की मांग की गई। यदि सरकार इस राशि को स्वीकृत करती है तो डैम का आगे का कार्य शुरू हो जाएगा। इससे सबसे ज्यादा फायदा चिरमिरी के लोगों को होगा। अभी चिरमिरी में पानी की समस्या है। डैम बनने के बाद इसी से शहर में पीने के लिए पानी आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। इसके साथ ही यदि काम पूरा हुआ तो 707 हेक्टेयर जमीन में किसान दोहरी फसल ले सकेंगे। यहां अभी हर साल सूखे जैसे हालात निर्मित है।


विभाग दे रहा गलत आंकड़े


पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा विभागों की लापरवाही से सिंचाई योजनाएं दम तोड़ रही है। धरातल पर काम करने की बजाय विभाग द्वारा गलत आंकड़े दिए जाते हैं। अज्ञानता ऐसी की बगैर पर्यावरण एनओसी के काम शुरु कर दिया, प्राक्कलन भी गलत बनाया गया और अब राशि स्वीकृति का इंतजार है।


बांध के ये काम अब तक अधर में


परियोजना में नाला क्लोजर, शुटफाॅल और एक्वाडक्ट के निर्माण अधूरा है। नहर निर्माण का कार्य भी पूरा नहीं हुआ। डेम निर्माण के लिए डंप मिट्टी पर बारिश से कटाव हो रहा है, कई जगहों से मिट्टी बह गई है। नहर के लिए निकाली गई पाइप लाइन के बेस पर दरारें आ गई है, जो घटिया निर्माण का सबूत देती है।


यहां खर्च किए 17 करोड़, अब 30 करोड़ का इंतजार


विभाग ने जलाशय के बाहरी क्षेत्र को बांधने, नहर की खुदाई एवं पाइप लाइन बिछाने, किसानों का मुआवजा आदि में 17 करोड़ खर्च किए गए हैं। अब 30 करोड़ से यहां अन्य शेष कार्यों को पूरा किया जाना है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण और भूमि अनापत्ति प्रमाण पत्र हेतू चिरमिरी एसडीएम कार्यालय में प्रस्ताव बनाकर दो साल पूर्व दिया गया है। लेकिन उनके द्वारा किसी भी प्रकार का जवाब आज तक विभाग को नहीं दिया गया।



पूर्व विधायक दीपक पटेल
5 बांध की स्वीकृति कराई थी 3 पूर्ण हो गया दो की पर्यावरण की स्वीकृति बची हुई है। पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद ही कार्य संभव हो सकेगा। पर्यावरण की स्वीकृति के लिए फाईंल पुटअप किया गया है इसके बाद फाईल में क्या हुआ और किसने कितना प्रयास किया इसकी मुझे कोई जानकारी नही है।

जलसंसाधन के कार्यपालन अभियंता विनोद कुमार साहू जब इस संबंध में जलसंसाधन के कार्यपालन अभियंता से फोन पर जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि आफिस टाईम में बात करिये अभी घर में बैठे है तो आपको चिरमिरी जलाषय क्या बताऐंगे। बिना फाईल देखे नही बनेगा।

बहरहाल चिरमिरी जलाषय जैसी बडी योजना के बारे में अधिकारियों को मुंह जुबानी बातें याद रहनी चहिए थी पर अधिकारियों को यह भी याद नही कि पिछले 8 वर्षों से यह योजना क्यों रूकी हैंं।

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