- मुझे चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सरकार ने सभी हदें पार कर दी हैं
- अपनी ग़लतियों को सही करने के लिए क़ानून को ही मनमाने ढंग से बदल दिया
- 24 सितम्बर 2020 को SC ST OBC अधिनियम 2013 में 4 अवैधानिक, मनमाने और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत संशोधन करे
- संशोधनों का पूर्ववर्ती प्रक्रियाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता
- सरकार पर मरवाही की जनता का प्यार भारी पड़ रहा है
बिलासपुर / चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सरकार ने सभी हदें पार कर दी हैं। पहले तो क़ानून की धज्जियाँ उड़ाईं और जब पकड़े गए तो अपनी ग़लतियों को सही करने के लिए क़ानून को ही मनमाने ढंग से बदल दिया। इस से स्पष्ट हो गया है कि अपनी पूरी ताक़त झोंकने और हज़ारों करोड़ों की घोषणा करने के बाद भी चुनाव के पहले ही उसने हार मान ली है।
अमित जोगी ने कहा मरवाही की जनता के बीच में जाने से रोकने की बदनीयत से 24 सितम्बर 2020 को उसने SC ST OBC अधिनियम 2013 के नियमों में ये 4 अवैधानिक और मनमाने संशोधन करे हैं:-
- जिला छानबीन समिति का गठन कलेक्टर कर सेकेंगे (इसे पहले राज्यपाल गठित करते थे)
- उस में 5 सदस्य रहेंगे (पहले 6 सदस्य थे)
- अधिकतम 15 दिन जवाब नहीं मिलने पर उसको एक-पक्षीय प्रमाण पत्र निलम्बित करने का अधिकार प्राप्त होगा (इसके पहले उसे प्रमाण पत्र रद्द करने का कोई अधिकार नहीं प्राप्त था)
- राज्य छानबीन समिति बिना सतर्कता समिति का गठन किए केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर प्रमाण पत्र निरस्त कर सकेगी (पूर्व में बिना सतर्कता समिति की सम्पूर्ण जाँच के राज्य समिति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं कर सकती थी)
हालाँकि क़ानून में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत इन चारों संशोधनों का पूर्ववर्ती प्रक्रियाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। किंतु डूबती सरकार तिनके का सहारा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सरकार पर मरवाही की जनता का प्यार भारी पड़ रहा है और इसी लिए युद्ध का शंखनाद होने के पहले ही वो हार मान चुकी है।
