बिलासपुर का आरटीओ विभाग की इन दिनों सुर्खियों का विषय बना हुआ है.. कारण है विभाग पर जमे दलालों के काम करने का तरीका, किसी भी प्रकार की गाड़ी के किसी भी प्रकार के काम को यहां बिना दलालों के नहीं किया जा सकता, दो पहिए से लेकर चार पहिए और भारी वाहनों के लाइसेंस से लेकर गाड़ी के कागजातों के निर्माण और संशोधन समेत ट्रांसफर तक का रेट फिक्स है।
हालत ये है कि बिना दलालों के अधिकारियों से मिलना तक यहां मुमकिन नहीं है। बिलासपुर आरटीओ शहर के बाहर होने की वजह से आम लोगों को काम कराने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इस विभाग के अधिकारी आए दिन काम से नदारद ही मिलते हैं।इसलिए बिना दलालों के काम हो पाना यहां पर मुमकिन नहीं हो पाता है, कोरोना वैश्विक महामारी के बीच में बड़ी संख्या में दलाल दिन-रात ग्राहकों की तलाश में यहां बैठे रहते हैं। 2500 से लेकर 20 हजार रुपए तक की काम चुटकियों में करने का दावा करने वाले यह दलाल बंद कैमरे के बीच अधिकारियों तक सेवा पहुंचाने की बात करते हैं। दलालों की काम में इतना अंदर तक गुस्सा होने के बारे में जब विभागीय अधिकारी से बात करने की कोशिश की जाती है, तो वे किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इंकार कर देते हैं।
लेकिन कोरोना काल के बीच सुबह से शाम तक खड़े ग्राहकों की तलाश करने वालों के विषय में जब अधिकारियों को जानकारी दी जाती है तो वे चुप्पी साध लेते हैं। बिलासपुर का आरटीओ कार्यालय पूर्व में भी दलालों को लेकर काफी चर्चा का विषय बना रहा है और लॉकडाउन खत्म होते ही फिर एक बार दलालों का अड्डा बन चुके आरटीओ कार्यालय में काम कराने के लिए अधिकारियों की नहीं बल्कि उनकी तरफ ताकना पड़ता है।
