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आभासी दुनिया से मुकाबला गांधीवाद से ही संभव, गांधी अकेले राजनेता जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया – डॉ. सत्यजीत

रायपुर / राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73वीं पुण्य स्मरण- विचार विमर्श का आयोजन प्रेस परिसर रजबंधा में किया गया। मुख्य वक्ता प्रदीप शर्मा सलाहकार, मुख्यमंत्री, सुमीत दास, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ पनिका समाज, विनयशील, सामाजिक कार्यकर्ता और विषय प्रवर्तक डॉ. सत्यजीत साहू डायबिटिक विशेषज्ञ रहे।


छत्तीसगढ़ पनिका समाज के अध्यक्ष सुमित दास ने कहा हिन्दुस्तान की क्रांति में गांधी जी नई इबारत लिखी, अपने समकालिक राजनीतिक, सामाजिक नेताओं को भी अपने ध्येय वाक्य करो या मरो से प्रेरित किया। गांधी ने स्वीकार किया कि मेरी मां कबीर पंथी थी। मां के संस्कार ने ही गांधी को सर्वधर्म समभाव का भाव भरा। गांधी की कबीर पर आस्था से पनिका समाज और कबीरपंथी के रुप में मुझे गौरवान्वित करती है।


सुप्रतिष्ठित विचारक प्रदीप शर्मा ने स्टडी सर्कल को विचारोत्तेजनक चर्चा का केन्द्र बनाने और इसके विभिन्न समूहों में विस्तार की बात कही। गांधी एक पोएटिक पर्सन थे, ये आप अनके विचारों अभिव्यक्ति में स्पष्टता और शब्दों की खुबसूरती से झलकता है। चरमपंथियों के लगातार हमले पर गांधी ने पं. जवाहरलाल नेहरु को सन 1934 के आस-पास लिखें पत्र में देखें- मेरे उपर हमला करने वाली शक्तियों को मैं जानता हूं, इनकी जहरीली विचारधारा पनप और फैल रही है।
श्री शर्मा ने कहा कि गांधी खुले तौर पर एक अराजक व्यक्ति रहे है। उनकी विचार प्रक्रिया में लगातार नवाचार और प्रयोग है- गांधी आर्डर फालो करने के सख्त खिलाफ थे, उनकी दलील थी कि आर्डर हमें अर्दली बना देता है। इस गांधी के स्वरुप को हमने 30 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे द्वारा निर्मम वध के बाद बदल दिया है। हमने अपने दिमाग में एक फ्रेम कस लिया है और गांधी को एक नियमित दिनचर्या और सांचे में बांध लिया है।


युवा सामाजिक कार्यकर्ता विनयशील ने कहा कि गांधी पर समग्रता से विचार करने की जरुरत है। प्रायः सभी बड़े विचारक-लेखक गांधी के एक पक्ष, विचार या कार्यक्रम पर ही चिंतन करते है। जबकि गांधी नवाचारी थे, नये विचारों को ग्रहण करते थे, पुराने पर पुनरावलोकन करते थे।

विमर्श के संयोजक एवं विषय प्रवर्तक डॉ. सत्यजीत साहू ने कहा कि गांधी अकेले राजनेता है जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया और दो महाद्वीपों – अफ्रीका एवं एशिया में लंबे कालखंड में समग्रता से कार्य किया। धार्मिक सौहार्द के लिए नए विचार दिए। अहिंसा और सत्याग्रह का नया अस्त्र-शस्त्र दिया। नए राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्वकर्ताओं को उर्वर भूमि प्रदान की। व्यक्तिगत जीवन में सूचिता के लिए नये मानक स्थापित किए।


इस पब्लिक डिस्कोर्स में गांधीजी के विचारों एवं कार्यक्रमों में समग्रता और संजीवता से चर्चा हुई। विमर्श में तारिक खान, कमलेश चंद, देवेन्द्र शुक्ला, आकाश चन्द्रवंशी, सूरज दुबे और नीतिन आगाशे प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

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