अम्बिकापुर / सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड के ग्राम चिरंगा में स्थपित होने वाली एमलूनिएम रिफाइनरी फैक्ट्री के लिए पर्यावरण की स्वीकृति हेतु जनसुनवाई का आयोजन किया गया था। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला। यही नही फैक्ट्री स्थापना के विरोध में जन सुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने फैक्ट्री प्रबंधक की बेदम पिटाई की है। इस घटना की तस्वीर आवाज़ के कैमरे में कैद हुई है।
सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड के ग्राम चिरंगा में मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री के स्थापना की योजना बनाई गई है। फैक्ट्री के स्थापना के लिए क्रियान्वयन जारी है। लेकिन बतौली ब्लॉक के कई ग्राम के ग्रामीण फैक्ट्री की स्थापना को लेकर विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री की स्थापना होने के बाद उनके क्षेत्र में पर्यावरण दूषित होगा। जबकि स्थानीय युवाओं को मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा रोजगार भी नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्राइवेट कंपनी के द्वारा ग्राम चिरंगा में पर्यावरण की स्वीकृति हेतु सोमवार को जनसुनवाई का आयोजन किया गया। इस दौरान भी ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को। वहीं कई गांव के ग्रामीणों ने जनसुनवाई का जमकर विरोध किया। नौबत मारपीट तक की आ गई। दरअसल ग्रामीणों का आरोप है कि मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी कंपनी प्रशासन से सांठगांठ कर गांव में फैक्ट्री की स्थापना करना चाहती है। यही नही ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जनसुनवाई सुबह 9:00 बजे शुरू हुई और दोपहर 12:00 खत्म हो गई। इस दौरान चंद ग्रामीणों को बोलने का मौका दिया गया। कंपनी प्रबंधन ने जानबूझकर जनसुनवाई को चंद घंटों में खत्म कर दिया। ताकि ग्रामीणों जन सुनवाई के दौरान अपनी बात रखने का मौका न मिल सके। इस बात से आक्रोशित ग्रामीणों ने भरी जनसभा में मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक की चप्पल एवं जूतों से बेदम पिटाई कर दी। जिसकी तस्वीर आवाज के कैमरे में कैद हुई है। इधर ग्रामीणों के आक्रोश को देख मौके पर मौजूद पुलिस बल भी मुख दर्शक बनकर तमाशा देखती रही। हालांकि पुलिस बल ने जैसे तैसे बीच-बचाव कर कंपनी के प्रबंधक को और भी पीटने से बचा तो लिया लेकिन फैक्ट्री की स्थापना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा ज्वालामुखी की तरह भड़का हुआ है। स्थानीय ग्रामीण निजी कंपनी पर बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि कंपनी सिर्फ अपने फायदे के लिए ग्रामीणों का नुकसान करना चाहती है। यही नहीं ग्रामीणों से फैक्ट्री के विरोध में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह तो ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है। यदि कंपनी जन सुनवाई के लिए दोबारा चिरंगा गांव पहुंचती है तो कंपनी के कर्मचारियों का इससे भी बुरा हाल किया जाएगा। ग्रामीणों के आक्रोश को देख समझा जा सकता है कि गांव में स्थापित होने वाली एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री का किस कदर स्थानीय लोग विरोध कर रहे है। यह तो बात हुई ग्रामीणों के विरोध की। लेकिन अब इस बात को समझिए की निजी कंपनी अपने फायदे के लिए किस तरह ग्रामीणों को मौत के मुंह में धकेल रही है। दरअसल सरगुजा जिले में कोरोना बेकाबू हो चुका है। कलेक्टर ने जिले को कंटेनमेंट जोन घोषित कर 10 दिनों के लिए लॉकडाउन दिया है। बावजूद इसके मां कुदरगढ़ी एलमुनियम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कोविड-19 के खतरे को जानते हुए भी हजारों की संख्या में कई गांव के ग्रामीणों को एकत्रित कर जनसुनवाई का आयोजन रखी थी। यदि इस आयोजन से बतौली क्षेत्र में कोरोना विस्फोट होता है तो क्या निधि कंपनी इसकी जिम्मेदार होगी। बहरहाल प्रशासन को भी ऐसे आयोजनों एवं जन सुनवाई पर रोक लगानी चाहिए जहां से कोरोना के सामुदायिक संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है।

12 अप्रैल को पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा आयोजित किए जाने वाले पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सरगुजा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। कोरोना महामारी के दौरान हो रही लोक सुनवाई के दौरान कोरोना संक्रमण के फैलाव को लेकर ग्रामीण सशंकित है। ग्रामीमों का कहना है कि इस आयोजन से कोरोना गाइडलाइन के दिशा निर्देशों का भी उल्लंघन होगा। जबकि ज्ञापन में यह भी उल्लेख है कि प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू करने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया गया है। बावजूद इसके पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा लोक सुनवाई का आयोजन किया जा रहा है जो उचित नही है। इधर कलेक्टर ने जन सुनवाई के सवाल पर कहा कि जारी दिशा निर्देश के अनुसार ही जन सुनवाई का आयोजन होगा।