रायपुर / छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी, आरटीआई एक्टिविस्ट, समाजसेवी विसलब्लोअर और अनेकों समाज से संबंधित प्रश्नों को उठाने वाले व अब तक कई भ्रष्टाचारों के खुलासे करने संजीव अग्रवाल ने यूजीसी पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि क्या अब भ्रष्टाचार में लिप्त लोग ही स्वयं की जांच करेंगे? यह कैसा सरकारी फरमान है?
असल में मामला यह है की मध्य प्रदेश की सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी द्वारा छत्तीसगढ़ के एक कांग्रेसी विधायक विनय अग्रवाल की पैसों के बदले डिग्री देने के मामले में संजीव अग्रवाल ने यूजीसी {भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission)} को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके उत्तर में यूजीसी ने संबंधित विभाग के सचिव को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा था।
तत्पश्चात संजीव अग्रवाल ने ही छत्तीसगढ़ की ही एक यूनिवर्सिटी (आईएसबीएम) द्वारा जेल में हत्या के मामले में सजा काट रहे एक मुजरिम की पैसों के बदले डिग्री बनाने के मामले में भंडाफोड़ किया था और उसकी शिकायत भी यूजीसी से की थी। जिसके जवाब में यूजीसी ने उस प्रकरण में भी संबंधित विभाग के सचिव को एक जांच का जिम्मा सौंपा था।
इसी कड़ी में संजीव अग्रवाल ने रायपुर स्थित मैट्स यूनिवर्सिटी के ख़िलाफ़ भी यूजीसी से शिकायत की थी क्योंकि मैट्स युनिवर्सिटी ने भी एक कांग्रेसी नेता का पैसों के बदले डिग्री देने का भ्रष्टाचार किया था। लेकिन इस प्रकरण में यूजीसी की कार्यशैली पर सवाल उठता है क्योंकि यूजीसी ने संजीव अग्रवाल को दिए जवाब में यह कहा है की मैट्स यूनिवर्सिटी ही इसकी जांच करे।
यूजीसी ने मैट्स यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को पत्र लिखते हुए कहा है कि संजीव अग्रवाल द्वारा की गई शिकायत के ऊपर जांच करते हुए उचित कार्यवाही करें।
संजीव अग्रवाल ने मीडिया के माध्यम से पूछा है कि यूजीसी का यह कैसा आदेश है जिसमें स्वयं भ्रष्टाचार करने वाले को ही उसके भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए कहा गया है! क्या यूजीसी भी निजी विश्वविद्यालयों के रसूखदार मालिकों के प्रभाव में आ रही है? और अगर ऐसा है तो यह देश के संघीय ढांचे के लिए बहुत ही अधिक खतरनाक है।
संजीव अग्रवाल ने कहा है कि, इस पर देश के माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय महिमहिम राष्ट्रपति जी को उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
संजीव अग्रवाल ने कहा है कि अगर इस प्रकरण में यूजीसी द्वारा लापरवाही बरती गई या कहीं भी संलिप्तता पाई गई तो वे इस प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जरूर जाएंगे।