कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर चिकित्सा सेटअप में रखें स्थानीय प्रशासन -डॉ. अरुण पाण्डेय्
बस्तर । बस्तर ज़िला चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में आज़ादी के 75 वर्ष उपरांत भी अपनी कमियों को पूर्ण नही कर पाई है। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात हालांकि कई बदलाव हुए हैं और सुविधाओं में विस्तार भी हुए हैं लेकिन चिकित्सा सुविधा मुहैय्या कराने वाले सैकड़ो हजारों हाथों को संविदा सेवा के नाम पर शासन – प्रशासन अब तक स्थाई सेवक बनने के अधिकार से वंचित रखा गया है। अनेकों दलों के नेताओं के पास गुहार लगाने के बावजूद भी सुनवाई ना होने पर प्रभावित नर्सो व अन्य कर्मचारियों ने अब युवाओं के हितों में आवाज़ बुलंद करने वाली जनसभा के कार्यालय पर पहुंचकर अपने हित में संघर्ष करने के लिए समर्थन मांगा है।
जनसभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण पाण्डेय् ने कोविड प्रोटोकॉल के तहत प्रतिनिधीमण्डल से मुलाकात करके उनकी समस्याओं को सुना तथा बस्तर मेम चिकित्सा सेवा देते आ रहे कर्मचारियों के हित में प्रशासन के ग़लत नियियों व अधिकारियों के तानाशाही रवैय्ये के विरुद्ध संगठन के तऱफ से समर्थन का ऐलान किया है।
गौरतलब होकि डीएमएफटी मद के तहत बस्तर में कई वर्षों से समय समय पर चिकित्सा कर्मियों की अस्थाई भर्ती किया जाते रहे है। विभाग को जब तक कर्मचारियों की आवश्यकता होती है तब तक तय अस्थाई दर अनुसार उनसे सेवा लिया जाता है तथा बाद में उन्हें निकाल दिया जाता है। इस तरह की वर्षो तक जब कर्मचारी चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा दे चुके रहते हैं अचानक सेवा से निकालने के बाद उनके पास रोज़गार हेतु गंभीर समस्या खड़े हो जाती है। वे किसी अन्य दुकान या क्षेत्र में काम पर भी नही जा पाते हैं क्योंकि उनके माथे पर चिकित्सा कर्मी होने का टैग लगा होता है। इस तरह उनके भरणपोषण सम्बंधित समस्या का जन्म होता है।
विभाग लग़ातार इस तरह का रवैय्या अपनाए हुए कर्मचारियों का शोषण करते आ रही है। संविदा कर्मचारी होने के कारण समान काम मरने के उपरांत भी वेतन विसंगति के साथ ही इन्हें शासन प्रशासन द्वारा समय समय पर जारी कई सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ता हैं।

जनसभा के प्रदेश अध्यक्ष ने मीडिया को जारी बयान में कहा हैकि लगातार तीन माह से बस्तर के लगभग 600 चिकित्सा कर्मी प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए अपनी नौकरी की मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद भी अब तक ना ही एसडीएम और ना ही कलेक्टर ने उनकी बात सुनी है। इस तरह साफ होता हैकि वे चिकित्सा कर्मचारियों के लिए कितना संवेदनशील हैं। जनसभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण पाण्डेय् ने कलेक्टर से कहा हैकि आने वाले एक सप्ताह के भीतर सभी कर्मचारियों को पुनः उनके मूल स्थान पर पदस्थापना दिया जावे तथा आगे उनकी स्थाई नियुक्ति हेतु भी विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा हैकि इस मामले को लेकर आगे वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास जाएंगे व मिलकर इस समस्या के स्थाई निराकरण हेतु हल निकालने की कोशिष करेंगे। अन्यथा की स्तिथि में व्यापक आंदोलन हेतु उनकी सन्गठन बाध्य होगी। इस संबन्ध में अपनी मांगों को लेकर आज एक ज्ञापन भी कर्मचारियों द्वारा कलेक्टर बस्तर के नाम सौंपा गया है।