रायपुर / भारत सरकार द्वारा जनजातियों के लोकनृत्यों के संग्रहण एवं शोध के हेतु फैलोशिप देने का प्रावधान रखा गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य की वरिष्ठ लोकनृत्य निर्देशिका- रंगकर्मी श्रीमती रामेश्वरी यादव का चयन किया गया। भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र संस्कृति विभाग की ओर से प्रदत्त फेलोशिप के अंतर्गत श्रीमती रामेश्वरी प्रथम चरण में आदिवासी बाहुल्य अंचल बस्तर में जाकर वहां प्रचलित लोकनृत्यों, गीतों, परंपराओं तथा जनश्रुतियों का संग्रहण करेंगी।
इस दिशा में हुई प्रगति पर चर्चा करते उन्होंनेछत्तीस छटा कला परिषद के डायरेक्टर वरिष्ठ लोक रंगकर्मी विजय मिश्रा ‘अमित’ को बताया कि आदिवासी समाज में प्रचलित नृत्य एवं घोटूलप्रथा का अध्ययन करने घोटूल ग्राम मड़काबेरा,दंतेवाड़ा जिला के तमनार जैसे सुदूर वनांचलों का वे दौरा कर चुकी हैं। उनके संग्रहण दल में सर्वश्री पुन्नू यादव,तरूण निषाद, राकेश-अमन देशमुख, रंजीत साहू शामिल हैं। आगे उन्होंने बतायाआदिवासी समुदाय के लुप्त प्रायःनृत्यों जैसे परागेदना, कोंगरेंग, ढोल मांदरी, गौर, छेरका के संबंध में आदिवासी भाइयों से प्रत्यक्ष जानकारी जुटाई गई है।

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से लोकसंगीत में उच्च शिक्षा प्राप्त रामेश्वरी ने कहा अत्याधुनिक संचार साधनों के कारण आदिवासी समाज के जीवन में भी परिवर्तन परिलक्षित हुआ है।वैश्विक रंगजगत पर लोक संस्कृति महकती रहे इसके लिए का संरक्षण आवश्यक है।विदित हो भारत सरकार द्धारा प्रदत्त उक्त फैलोशिप के लिए छत्तीसगढ़ से एकमात्र अवार्डी रामेश्वरी ही हैं। इस हेतु उन्हें विजय मिश्रा ने बधाई दीऔर छत्तीसगढ़ी कला संस्कृति को सहेजने के कार्य को ऐतिहासिक निरुपित किया।