Monday, June 30, 2025
अजब गजब अजब गजब - रायपुर के इस टपरी में लिख...

अजब गजब – रायपुर के इस टपरी में लिख कर लिया जाता हैं ऑर्डर और खाने से पहले उतारने पड़ते हैं जूते

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00 रायपुर के टपरी की चर्चा जोरों पर, इरफान ने दिया दिव्यांगों को रोजगार

00 इस कैफे में इशारों में होता हैं काम

रायपुर / छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में एक ऐसा टपरी कैफे है जहां का स्टाफ बोल – सुन नहीं सकता, यहां पर केवल इशारों से आर्डर दिया जाता है और ज्यादातर स्टाफ पैरों से दिव्यांग हैं या बौने हैं। इन सब बातों के विपरीत यहाँ के स्टाफ इतना बेहतर प्रशिक्षित है कि वह अपने ग्राहकों की जरूरतों को बेहतरीन तरीके से समझते हैं और उसे आसानी से पूरा करते है। इसी वजह से टपरी कैफे में पहुंचने वाले ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं होती है।

इस टपरी कैफे की एक और खास बात हैं की यहां ग्राहक अपने खाने का ऑर्डर बोलकर नहीं, लिखकर देते हैं, यहां सभी लोग जूते-चप्पल उतारकर खाना खाते हैं और खाना कुर्सी पर बैठकर नहीं बल्कि, आराम से बैठकर बिछोने पर खाते हैं।

यह बात आप जानते हैं की शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों को समाज में प्रत्येक क्षण बेइज्जती का सामना करना पड़ता है, जिन लोगों की शारीरिक बनावट में किसी प्रकार की दिक्कत आ गई है उन्हें उनके मां-बाप भी बोझ समझने लगते हैं, इसके अलावा समाज का कोई भी वर्ग उन्हें सामान्य नागरिक की तरह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है।

समाज में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो दिव्यांग जनों के विकास के लिए कार्यक्रम आयोजित करने या उनके लिए किसी प्रकार का रोजगार उपलब्ध करवाने का प्रयास करते हैं, लेकिन रायपुर में एक ऐसा टपरी कैफे है जहां सिर्फ उन्हीं लोगों को रोजगार दिया जाता है जो गूंगे या बहरे हो, इसके अलावा भी यहां शारीरिक दिव्यांगता वाले लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाता है।

स्वयं इरफान ने ऑनलाइन क्लॉस से साइन लैग्वेंज सीखा..

आपको बता दे की राजधानी रायपुर के टपरी कैफे के संचालक इरफान अहमद ने पहले वर्ष 2014 में मरीन ड्राईव तेलीबांधा में केफे खोला, वहां दिव्यांग लोगों को काम में ही नहीं रखा, बल्कि उनको काम का प्रशिक्षण दिया। उनकों समझऩे के लिए स्वयं इरफान ने ऑनलाइन क्लॉस से साइन लैग्वेंज सीखा। फिर क्या टपरी कैफे चलने की बजाए दौड़ पड़ा। 2018 से शंकर नगर में टपरी का दूसरा और बड़ा ब्रांच खोला। वहां भी प्रदेश के अन्य जिलों से आए दिव्यांग लोगों को रोजगार दिया यहाँ तक की एक शिक्षित दिव्यांग को मैनेजर की पोस्ट पर रखा हैं। फ़िलहाल इरफ़ान के पास 2 कैफे में कुल 18 दिव्यांग युवा काम करते हैं।

आज इरफान के इस अनूठे प्रयास की चर्चा चारों ओर है। उसके इस अनूठे कैफे में ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। साथ ही दिव्यांग नौजवानों को भी उसने उम्मीद की एक किरण दिखाई है। इरफान बताते हैं कि दिव्यांग लोगों में सामान्य लोगों से ज्यादा टैलेंट होता है। उन्होंने बताया ऐसे लोगों के साथ काम करके उन्हें हमेशा एक नया अनुभव मिलता है।

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