Sunday, January 12, 2025
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छत्तीसगढ़ व्यापमं ने स्थगित की एसआई भर्ती की लिखित परीक्षा, स्टेनोग्राफर की कौशल परीक्षा भी टाली गई

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में आरक्षण के खिलाफ आए उच्च न्यायालय के फैसले का साइड इफेक्ट शुरू हो गया है। भर्ती परीक्षाओं को टाला जाने लगा है। अब छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल-व्यापमं ने पुलिस उप निरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा को टाल दिया है। इसी के साथ तीन सरकारी विभागों में स्टेनोग्राफर भर्ती के लिए चल रही कौशल परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ पुलिस में उप निरीक्षक और प्लॉटून कमांडर के विभिन्न पदों के लिये व्यापमं ने सितम्बर महीने से भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इसकी लिखित परीक्षा 6 नवम्बर को होनी थी। शनिवार शाम को अचानक व्यापमं ने बताया कि इस परीक्षा को अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दिया गया है। परीक्षा की आगामी तिथि की जानकारी व्यापमं की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से बाद में दी जाएगी।

एक और सूचना जारी कर व्यापमं ने तीन सरकारी विभागों में स्टेनो टायपिस्ट और स्टेनोग्राफर भर्ती की कौशल परीक्षा को स्थगित किये जाने की जानकारी दी है। यह परीक्षा 29 अक्टूबर को बिलासपुर में आयोजित होनी थी। यह कौशल परीक्षा का दूसरा चरण था। कहा गया है कि अपरिहार्य कारणों से इसको स्थगित किया जा रहा है। परीक्षा तिथि की अगली सूचना वेबसाइट के माध्यम से बाद में दी जाएगी।

सीजी पीएससी भी रोक रखा है परिणाम, इंटरव्यू टाला
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम रोक दिया है। वहीं राज्य वन सेवा के साक्षात्कार टाल दिये गये हैं। PSC ने राज्य सेवा के 171 पदों पर इस साल परीक्षा ली थी। मुख्य परीक्षा में सफल 509 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। यह साक्षात्कार 20 से 30 सितम्बर के बीच चला। इसका परिणाम जारी नहीं हो रहा है। वहीं राज्य वन सेवा परीक्षा के साक्षात्कार को टाल दिया गया है। यह साक्षात्कार 8 से 21 अक्टूबर तक प्रस्तावित था। इस परीक्षा से 211 पदों पर भर्ती होनी थी।

हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को सुनाया था फैसला
बिलासपुर उच्च न्यायालय ने गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बनाम राज्य सरकार के मुकदमे में 19 सितम्बर को अपना फैसला सुनाया। इस फैसले में अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार के उस कानून काे रद्द कर दिया जिससे आरक्षण की सीमा 58% हो गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 सितम्बर को सभी विभागों को अदालत के फैसले की कॉपी भेजते हुए उसके मुताबिक कार्रवाई की बात कही। उसी के बाद आरक्षण को लेकर भ्रम का जाल फैलना शुरू हो गया।

विभागों में दो तरह की राय, लीगल नोटिस भी पहुंचा
अधिकांश विभागों में कहा जा रहा है कि इस फैसले का असर यह हुआ है कि आरक्षण की स्थिति 2011 से पहले वाली हो गई है। यानी अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14%आरक्षण मिलेगा। लेकिन कुछ पुराने अधिकारी कह रहे हैं कि इस फैसले में लिखी टिप्पणियां यह बता रही हैं कि उच्च न्यायालय ने प्रदेश में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय गए एक याचिकाकर्ता याेगेश ठाकुर ने वकील के जरिये सरकार को लीगल नोटिस भी भेजा है। इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय के फैसले से आरक्षण शून्य हो चुका है। सरकार एक सप्ताह में यह आदेश लागू कराये नहीं तो वे अवमानना की याचिका लगाएंगे।

व्यापमं ने अपनी वेबसाइट पर यह सूचना जारी की है।

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