रायपुर / छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य स्थित परसा कोल ब्लाक की वन स्वीकृति को रद करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव के पी राजपूत ने केंद्र सरकार के वन महानिरीक्षक को पत्र लिखकर कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। जन विरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है। जन विरोध, कानून व्यवस्था और व्यापक लोकहित को देखते हुए 841 हेक्टेयर की परसा खुली खदान परियोजना को जारी वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त किया जाए। यह कोल ब्लाक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित किया गया है।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने केते एक्टेंशन कोल ब्लाक के वन भूमि व्यपर्वतन प्रस्ताव की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है। इससे पहले सरकार ने विधानसभा में आए एक अशासकीय संकल्प का समर्थन किया था। इसमें केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान परियोजनाओं का आवंटन निरस्त करने की मांग की गई थी।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में आदिवासी कोल ब्लाक निरस्त करने की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। आदिवासी हसदेव क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे थे। उस समय मंत्री टीएस सिंहदेव (बाबा) ने भी हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों के आंदोलन को समर्थन दिया था। उस समय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि बाबा साहब अगर नहीं चाहते तो हसदेव क्षेत्र में एक पेड़ क्या, एक डाल भी नहीं कटेगी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मार्च में छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विद्युत निगम को आवंटित कोयला खदानों को शीघ्र चालू कराने का अनुरोध किया था। राजस्थान के संयंत्रों से 4400 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में परसा ईस्ट केते बासन, परसा और केते एक्सटेंशन कोल ब्लाक आवंटित किया है।