Friday, January 10, 2025
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हाई कोर्ट और एनजीटी चिंतित लेकिन पर्यावरण विभाग कुंभकर्णी नींद में

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रायपुर । देश में बढ़ते प्रदूषण को लेकर भले ही एनजीटी चिंतित है लेकिन पर्यावरण विभाग पूरी तरह निष्क्रिय हैं। सरगांव के पास शराब की फैक्ट्री से निकल रहे गन्दा पानी जिसे नदी में छोड़ा जाने से हजारों की तादात में मछलियां और जल में रहने वाले जीवजंतु अकाल काल के गाल में समा गए जिसकी चिंता न तो फैक्ट्री मालिक को है और न ही पपर्यावरण विभाग को। हद तो तब हो जाती है जब पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को कुछ मालूम ही नहीं था की शराब फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीला पानी को नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। नदी का पानी जहरीला होने से सिर्फ मछलियां ही नहीं बल्कि लगभग 15 से 20 गायों की भी मौत हो गई है।

लोग नदी के पानी को उपयोग करने और नहाने से भी डरने लगे हैं। शराब फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीला धुंआ और पानी से वहां आसपास के रहने वाले लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लोगों की मानें तो उनके घरों में इस प्रदूषण युक्त धुंए और पानी के जाने से उनका दम तक घुटने लगता है, लेकिन पर्यावरण विभाग इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है। हाई कोर्ट की फटकार के बाद भले ही पर्यावरण विभाग जागा है लेकिन जवाब देते नहीं बन रहा है। गौरतलब है कि एक समय में देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर 2 सप्ताह के लिए स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गया था। इन सबसे सबक लेने के बजाय पर्यावरण विभाग कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है। पर्यावरण विभाग के हिटलर शाही रवैया से लगभग लाखों आबादी की जिंदगी खतरे में पड़ गई है।

पर्यावरण संरक्षण मंडल बना सफेद हाथी : काम के नाम पर हाथी के दांत की तरह प्रदर्शन हो रहा है यानी खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत अलग। पिछले कुछ सालों में वायु प्रदूषण लोगों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। आधुनिकीकरण की अंधी दौड़ में तेजी से बढ़ते पेट्रोल-डीजल चलित वाहनों की संख्या, निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल के अति सूक्ष्म कण, कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं, ठोस कचरे और फैक्ट्रियां एवं अन्य कई कारणों से वैश्विक आबोहवा बिगड़ती जा रही है। जिसकी वजह से लोगों का सांस लेना भी दूभर होता जा रहा है। वायु प्रदूषण के मामले में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार है। यहां तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण प्रदूषण का ग्राफ भी तेजी से बड़ा है। नतीजा यह है कि पर्यावरण विभाग के लापरवाह अधिकारीयों की अकर्मण्यता से छत्तीसगढ़ की आधी आबादी कई बीमारियों की चपेट में है।

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