Tuesday, April 22, 2025
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क्या ज्यादा जंक फूड्स खाने से दिमाग पर भी पड़ता है असर? जानिए क्या हो सकते हैं इसके दुष्प्रभाव

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नई दिल्ली : मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर का मास्टरमाइंड माना जाता है। शरीर में होने वाले सभी कार्यों का संचालन इसी अंग द्वारा किया जाता है, यही कारण है कि मस्तिष्क का स्वस्थ और फिट रहना बहुत जरूरी है। ये अंग लगातार काम करता रहता है, यहां तक कि जब आप रात को बिस्तर पर आराम से सो रहे होते हैं, तब भी आपका मस्तिष्क काम करता है और शरीर को आने वाले दिन के लिए तैयार कर रहा होता है। अब चूंकि ये अंग काफी मेहनत करता है ऐसे में इसी हिसाब को मस्तिष्क को पोषण की भी आवश्यकता होती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप पौष्टिक चीजों का सेवन करें। ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर चीजें मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक मानी जाती हैं।

पर क्या आप जानते हैं कि आहार में गड़बड़ी से इस अंग की दिक्कत भी बढ़ जाती है? विशेषतौर पर जंक और प्रोसेस्ड फूड्स को मस्तिष्क की सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है।

जंक फूड्स और इसका असर

अध्ययनों से पता चलता है कि हमारा मस्तिष्क सबसे बेहतर तरीके से तब काम करता है जब आप फैटी एसिड, पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। वहीं अत्यधिक प्रोसेस्ड, मीठे, जंक फूड्स मस्तिष्क में सूजन पैदा करते हैं और न्यूरोडीजेनेरेटिव सहित कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का जोखिम भी बढ़ा सकते हैं।

अध्ययनों में पैक्ड स्नैक फूड, पेस्ट्री जैसे अत्यधिक प्रोसेस्ड और चाउमीन-पास्ता जैसे जंक फूड्स को उन हार्मोन्स के उत्पादन में बाधा डालने वाला पाया गया है जो हमें खुश महसूस कराते हैं। खाद्य पदार्थों में गड़बड़ी के कारण बढ़े इंफ्लामेशन की समस्या अवसाद के जोखिमों को भी बढ़ा देती है।

सीखने और याददाश्त की समस्या

जंक फूड में सैचुरेटेड फैट और शुगर-नमक की मात्रा अधिक होती है, जो सीखने और याददाश्त की समस्या पैदा कर सकती है। बच्चों में देखा गया है, जो सॉफ्ट ड्रिंक और नूडल्स जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं उनमें याददाश्त पर नकारात्मक असर हो सकता है। शोध से यह भी पता चला है कि युवावस्था में बहुत ज्यादा मीठे पेय या जंक फूड्स के सेवन से मस्तिष्क का विकास प्रभावित हो सकता है।

बढ़ सकती है अधीरता की भावना

कनाडाई शोधकर्ताओं ने पाया है कि फास्ट फूड के कारण अक्सर लोगों में अधीर महसूस होने की समस्या हो सकती है। अध्ययनकर्ताओं में से एक जूलियन हाउस कहते हैं, फास्ट फूड लोगों को जल्दी से अपना पेट भरने और दूसरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है। ये आपमें अधीरता को बढ़ा देती है। समय के साथ ऐसे लोगों में चिड़चिड़ापन और एक समय पर ज्यादा देर तक मन न लगने की समस्या हो सकती है।

अल्जाइमर रोग-डिमेंशिया का जोखिम

इसी तरह ब्राउन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि फास्ट फूड्स हों या सॉफ्ट ड्रिंक्स इसके अधिक सेवन से अल्जाइमर रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। ये खाद्य पदार्थ फैट से भरपूर होते हैं, जो हमारे शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण मस्तिष्क में नई यादों के निर्माण की समस्या होने लगती है। जंक फूड्स की आदत डिमेंशिया रोग का जोखिम भी बढ़ा देती है।

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