Monday, April 21, 2025
हमारे राज्य महादेव सट्टा एप का मालिक सौरभ चंद्राकर गिरफ्तार

महादेव सट्टा एप का मालिक सौरभ चंद्राकर गिरफ्तार

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रायपुर । छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक साधारण जूस विक्रेता से महादेव ऐप के सट्टेबाजी सरगना बनने तक, सौरभ चंद्राकर का सफर अब समाप्ति पर पहुंच चुका है। खबरों के अनुसार सौरभ चंद्राकर को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है। दुबई में उसकी गिरफ्तारी इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर की गई, जिसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुरोध पर जारी किया गया था। यह गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के समन्वित प्रयासों का परिणाम है, जिसमें विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने प्रमुख भूमिका निभाई।

महादेव ऐप सट्टेबाजी घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई

लगभग डेढ़ महीने पहले, छत्तीसगढ़ सरकार ने महादेव ऐप सट्टेबाजी घोटाले की जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का निर्णय लिया। यह निर्णय 22 अगस्त को लिया गया था, जिसके बाद चंद्राकर की गिरफ्तारी हुई। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया था कि घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और सभी दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए सीबीआई को जांच सौंपी गई।

CBI और ED की भूमिका

CBI और ED ने इस घोटाले की गहराई में जाकर जांच की, जिससे चंद्राकर की गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ। अब तक 572.41 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया जा चुका है, जिसमें 100 करोड़ रुपये की संपत्ति दुबई में है। यह गिरफ्तारी अत्यंत गोपनीय तरीके से की गई थी, जिसमें केवल कुछ शीर्ष अधिकारियों को इसकी जानकारी थी। उच्च-स्तरीय सूत्रों ने बताया कि चंद्राकर को आसानी से गिरफ्तार करने के लिए कार्रवाई को पूरी तरह गुप्त रखा गया। दुबे में गिरफ्तारी के बाद, भारत सरकार और CBI को जानकारी मिलने पर प्रत्यर्पण प्रक्रिया तेज हो गई। MEA (विदेश मंत्रालय), MHA (गृह मंत्रालय), ED, और CBI ने संयुक्त रूप से काम किया, सभी औपचारिकताओं को बिना देरी के पूरा करने की प्रक्रिया शुरू की।

पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग का योगदान

इस ऑपरेशन की सफलता में दुर्ग रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) राम गोपाल गर्ग का योगदान महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने CBI में अपने अनुभव का उपयोग करते हुए चंद्राकर की हर गतिविधि पर नज़र रखी और CID के माध्यम से एक अनूठी अनुरोध प्रक्रिया चलाई। उन्होंने जुलाई 2024 में गृह मंत्रालय को तत्काल अनुरोध भेजा, जिससे प्रोविजनल अरेस्ट और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया।

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