Wednesday, January 8, 2025
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श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर नगर कीर्तन शोभायात्रा का भव्य आयोजन

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रायपुर। श्याम नगर गुरुद्वारे से रविवार को गुरु गोबिंद सिंह जी के 359वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में भव्य नगर कीर्तन निकाला गया। पंज प्यारों की अगुआई में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अत्यंत सुंदर और सजी हुई पालकी में स्थापित कर शोभायात्रा की शुरुआत की गई। नगर कीर्तन में सिख समुदाय और अन्य धर्मों के श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा का स्वागत किया और प्रसाद वितरण का आयोजन किया।

खास आकर्षण बना बाज वाली झांकी

नगर कीर्तन में छत्तीसगढ़ सिख काउंसिल द्वारा तैयार विशेष झांकी आकर्षण का केंद्र रही। इस झांकी में गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े कटआउट के साथ उनके हाथ में हमेशा रहने वाले बाज को जीवंत रूप में दिखाया गया। गुरु गोबिंद सिंह जी का बाज, जिसे उन्होंने “रुस्तम” नाम दिया था, उनकी वीरता और खालसा पंथ के गुणों का प्रतीक माना जाता है। बाज को खालसा का प्रतिनिधि माना गया है, क्योंकि यह साहस, सतर्कता और स्वतंत्रता का प्रतीक है।

छत्तीसगढ़ सिख काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी का बाज उनके साथ हमेशा रहता था और उन्हें “बाजांव वाला” या “सफेद बाज़ का रक्षक” भी कहा जाता था। इस झांकी को तैयार करने के पीछे उद्देश्य गुरुजी की शिक्षाओं और खालसा पंथ के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाना था।

संगीतमय कीर्तन और सेवाभाव का माहौल

नगर कीर्तन में पंज प्यारों के नेतृत्व में श्रद्धालु “वाहेगुरु” और “गुरु गोबिंद सिंह जी के जयकारे” लगाते हुए चल रहे थे। धार्मिक संगीत और भजन ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। शोभायात्रा के मार्ग में सिख समुदाय के लोगों ने चाय, ठंडाई, लंगर और अन्य प्रसाद का वितरण कर सेवा का भाव प्रकट किया।

गुरुजी के आदर्शों को किया गया याद

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुखों ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से हमें शौर्य, न्याय और धर्म के प्रति निष्ठा की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना कर समाज में समानता और भाईचारे का संदेश दिया।

समापन और अरदास

नगर कीर्तन का समापन गुरुद्वारा श्याम नगर में हुआ, जहां श्रद्धालुओं ने सामूहिक अरदास कर गुरु गोबिंद सिंह जी के आशीर्वाद की कामना की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को खीर, लड्डू और अन्य प्रसाद वितरित किया गया।

नगर कीर्तन के माध्यम से न केवल गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और शिक्षाओं को याद किया गया, बल्कि यह भी संदेश दिया गया कि उनकी प्रेरणा से हम सभी को सच्चाई, वीरता और परोपकार के मार्ग पर चलना चाहिए।

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