नई दिल्ली/ साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के हसदेव क्षेत्र ने झगराखांड भूमिगत खदान की 1585.827 हेक्टेयर वनभूमि को छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग को विधिवत हस्तांतरित कर दिया। यह ऐतिहासिक कदम लंबे समय से चली आ रही भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया का परिणाम है, जो पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्रीय विकास के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया
एसईसीएल झगराखांड कोल ब्लॉक कुल 2613.094 हेक्टेयर भूमि में फैला है, जिसमें 1893.372 हेक्टेयर वनभूमि, 278.803 हेक्टेयर राजस्व भूमि और 440.919 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है। झगराखांड लीज नवीनीकरण के दौरान 307.545 हेक्टेयर वनभूमि (256.545 हेक्टेयर वनभूमि और हल्दीबाड़ी भूमिगत खदान के लिए 51.00 हेक्टेयर वनभूमि) को व्यपवर्तन कर दिया गया था। इसके बाद 1585.827 हेक्टेयर वनभूमि को वन विभाग को वापस देने की प्रक्रिया शुरू की गई।
8 मई 2024 को अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (भू-प्रबंध) की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस भूमि हस्तांतरण को लेकर निर्देश जारी किए गए। इसके तहत एसईसीएल हसदेव क्षेत्र और वन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से सर्वेक्षण कर संबंधित भूमि का केएमएल (KML) फाइल तैयार किया।
वनभूमि हस्तांतरण की प्रमुख बातें
- कुल भूमि: 1585.827 हेक्टेयर
- कक्ष क्रमांक: पी704, पी700, पी703, पी701
- सम्पत्ति की सूचीबद्धता: क्षेत्र में मौजूद सभी संपत्तियों और अतिक्रमण का दस्तावेजीकरण किया गया।
- सर्वेक्षण और दस्तावेज: भूमि का भौतिक सर्वेक्षण और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई।
पर्यावरण और विकास कार्यों के लिए महत्व
यह भूमि हस्तांतरण पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्रीय विकास कार्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
पर्यावरण संरक्षण: वनभूमि के मूल स्वरूप में लौटने से क्षेत्र में जैव विविधता और हरित आवरण को पुनर्स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
विकास कार्यों में तेजी: राज्य सरकार को भूमि हस्तांतरण से सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य शहरी विकास परियोजनाओं में तेजी आएगी।
स्थानीय जनता को लाभ: भूमि संबंधी विवादों और समस्याओं का समाधान होगा, जिससे नागरिकों को सीधी राहत मिलेगी।
एसईसीएल का योगदान
एसईसीएल ने यह सुनिश्चित किया है कि हस्तांतरित की जा रही भूमि का पर्यावरणीय और सामाजिक पहलुओं के साथ उचित प्रबंधन हो। यह कदम उनके जनसरोकार से जुड़ी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
छत्तीसगढ़ शासन ने इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में सक्रिय भूमिका निभाई। वन विभाग ने सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और हस्तांतरण के सभी चरणों में समन्वय किया।
आगे की योजनाएं
वन विभाग अब इस भूमि को संरक्षित और पुनर्वासित करने की योजना बना रहा है, ताकि इसे पर्यावरण के अनुकूल उपयोग में लाया जा सके।