कोरिया:जुआ फड़ पर छापेमारी, 80-100 जुआरी, 25-30 लाख का दांव, और पुलिस का “सुपर प्लान”। लेकिन नतीजा? सिर्फ 26 जुआरी और 1.5 लाख रुपये। सुनकर लग रहा होगा कि पुलिस ने बॉलीवुड की कोई हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म शूट की हो। लेकिन नहीं, ये सच्चाई है।
जुआ फड़ या कैशलेस कैसिनो?
कोरिया के कुंडली क्रेशर में चल रहे जुआ फड़ का मामला सबकी जुबान पर है। सुनने में आया है कि यहां रोजाना करोड़ों का खेल होता था। 12 जनवरी को, आईजी सरगुजा ने सूरजपुर की “स्पेशल टीम” को भेजा। ये टीम बड़े मिशन के मूड में निकली। लेकिन नतीजा कुछ ऐसा रहा जैसे कोई मछली पकड़ने गया हो और तालाब से खाली बाल्टी लेकर लौट आया हो।
पकड़े गए 26 जुआरी और ढाई किलो प्याज जितना कैश!
स्पेशल टीम 20-22 की संख्या में पूरी ताकत से क्रेशर पहुंची। जुआरी 100 थे और टीम 20, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे पुलिस को दौड़ लगवाने का शौक हो। 26 जुआरी पकड़े गए, और बाकी 74 शायद ओलंपिक के लिए प्रैक्टिस करते-करते भाग निकले। और पकड़ में आए 1.5 लाख रुपये देखकर लोग हैरान हैं—”इतने बड़े जुए का ये रिजल्ट?”
सिंडिकेट के “मास्टरमाइंड” की सुपरपावर
अब बात करते हैं सिंडिकेट के किंगपिन एस कुमार की। यह जनाब पुलिस के लिए चेस का ग्रैंडमास्टर बन चुके हैं। हर बार पकड़े जाने से पहले उन्हें शायद सपना आ जाता है—”भाई, पुलिस आ रही है!” और इस बार भी वही हुआ। एस कुमार पुलिस की आंखों में धूल झोंककर निकल लिए।
पुलिस और एस कुमार की “ढाबा डील”?
हद तो तब हो गई जब सूत्रों ने बताया कि छापेमारी के बाद पुलिस टीम और एस कुमार को एक ढाबे में साथ खाना खाते देखा गया। अब ये “ढाबा डील” क्या थी? क्या दोनों “शांति वार्ता” कर रहे थे? ये सवाल पूरे कोरिया में चर्चा का विषय है।
क्रेशर मालिक: अलीबाबा का गुफावाला?
जिस क्रेशर में ये सब हो रहा था, उसके मालिक पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा लग रहा है जैसे क्रेशर मालिक को अलादीन का जिन्न मिल गया हो, जो हर बार उसे पुलिस से बचा लेता है।
स्पेशल टीम या “स्पेशल फ्रेंड्स”?
सूरजपुर की स्पेशल टीम पर भी आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि एस कुमार की “खास दोस्ती” टीम के साथ है। वह बाकी जुआ फड़ों पर कार्रवाई करवा कर अपने धंधे को बढ़ावा देता है। और पुलिस? शायद एस कुमार से “पार्टनरशिप” में काम कर रही है।
अगर अंबिकापुर टीम होती तो?
सूत्रों का दावा है कि अगर अंबिकापुर की टीम भेजी जाती तो 20 लाख से कम का कैश नहीं मिलता, और एस कुमार भी सलाखों के पीछे होता। लेकिन सूरजपुर की टीम ने मौके पर पहुंचकर ये सुनहरा मौका गंवा दिया।
जुआ फड़ पर कार्रवाई की इस फिल्मी कहानी में बहुत से ट्विस्ट और टर्न हैं। लेकिन असली सवाल ये है—”पुलिस ने जो किया, वो कानून के लिए था या अपने फायदे के लिए?” जब तक ईमानदार कार्रवाई नहीं होगी, तब तक एस कुमार जैसे लोग अपनी “सुपरपावर” से बाहर ही रहेंगे।