नारायणपुर, 7 फरवरी – छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में स्थित अबूझमाड़, जिसे नक्सलियों की अघोषित राजधानी माना जाता था, अब बदलाव की राह पर है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद बनी डबल इंजन की सरकार ने इस क्षेत्र से नक्सल प्रभाव को जड़ से खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
राज्य सरकार की “नियाद नेल्लानार” योजना के तहत पिछड़े इलाकों में तेज रफ्तार से विकास पहुंचाया जा रहा है। इसी पहल का असर है कि पहली बार अबूझमाड़ के ग्राम कुतुल में पुलिस और सुरक्षा बलों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यहां ITBP (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) और जिला पुलिस के संयुक्त प्रयासों से एक नया पुलिस कैंप स्थापित किया गया है।
पुलिस कैंप स्थापना से ग्रामीणों में खुशी
पुलिस कैंप की स्थापना के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है। कुतुल गांव, जो अब तक नक्सल प्रभाव में रहा, अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की ओर अग्रसर है।
नक्सल विरोधी अभियान को मिल रही है सफलता
पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा संचालित “माड़ बचाओ अभियान” के तहत अबूझमाड़ में लगातार नक्सल विरोधी कार्रवाई की जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, बल्कि क्षेत्र को शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से जोड़ना भी है।
राज्य सरकार के इस प्रयास से अबूझमाड़ में एक नए युग की शुरुआत हो रही है। जिस क्षेत्र में कभी नक्सलियों का आतंक था, वहां अब विकास की नई कहानी लिखी जा रही है।