बिलासपुर। नगर निगम चुनाव में इस बार भाजपा ने रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी एल. पद्मजा उर्फ पूजा विधानी ने कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी प्रमोद नायक को 66,179 वोटों के बड़े अंतर से पराजित कर दिया। इस शानदार जीत के साथ भाजपा ने बिलासपुर नगर निगम में एक बार फिर अपना परचम लहरा दिया है।
भाजपा की बंपर जीत, कांग्रेस को तगड़ा झटका!
नगर निगम के 70 वार्डों में हुए चुनाव में भाजपा ने 50 सीटें जीतकर बहुमत का परचम लहराया, जबकि कांग्रेस को 17 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। वहीं, तीन निर्दलीय पार्षद भी चुनकर आए हैं। यह जीत न सिर्फ भाजपा के लिए बड़ी सफलता है, बल्कि कांग्रेस के लिए करारा झटका भी साबित हुई।
इतिहास रचने वाली जीत!
इस चुनाव में भाजपा की एल. पद्मजा (पूजा विधानी) को जनता ने रिकॉर्ड वोटों से जिताकर पहली बार बिलासपुर नगर निगम में ऐतिहासिक जीत दिलाई है। इससे पहले कभी किसी उम्मीदवार को इतने अधिक वोटों से जीत नहीं मिली थी। भाजपा के कार्यकर्ताओं में इस जीत को लेकर जबरदस्त उत्साह है। शहर में जगह-जगह ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया गया, पटाखे फोड़े गए और मिठाइयाँ बांटी गईं।
भाजपा क्यों रही जनता की पहली पसंद?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की विकास योजनाओं, केंद्र और राज्य सरकार की जनहितकारी नीतियों तथा स्थानीय नेतृत्व की सक्रियता के चलते जनता ने भाजपा को भारी समर्थन दिया। दूसरी ओर, कांग्रेस इस बार अपने गढ़ को बचाने में असफल रही।
क्या बोले विजेता और पराजित उम्मीदवार?
भाजपा की मेयर उम्मीदवार पूजा विधानी ने जीत के बाद कहा,
“यह जीत बिलासपुर की जनता की जीत है। मैं सभी नागरिकों की सेवा में हमेशा तत्पर रहूंगी और शहर के विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाऊंगी।”
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद नायक ने हार स्वीकार करते हुए कहा,
“जनता का जनादेश स्वीकार है। हम अपनी कमियों की समीक्षा करेंगे और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।”
अब आगे क्या?
इस प्रचंड जीत के बाद अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि भाजपा नगर निगम में किस तरह के बदलाव लाती है और कौन-कौन से बड़े फैसले लिए जाते हैं। जनता को विकास और प्रशासन में सुधार की बड़ी उम्मीदें हैं। अब देखना होगा कि नई नगर सरकार इन उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है।
बिलासपुर की राजनीति में नया मोड़
बिलासपुर नगर निगम चुनाव के इस नतीजे ने शहर की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इस प्रचंड जीत से भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई है, जबकि कांग्रेस को अपनी रणनीति पर नए सिरे से मंथन करना होगा। आने वाले वर्षों में इस बदलाव का असर राज्य की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है।