रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा अब आदिवासी इलाकों से निकलकर शहरी क्षेत्रों तक पहुँच चुका है। रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव जैसे बड़े शहरों में धर्मांतरण के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। हाल ही में दुर्ग जिले के अमलेश्वर थाना क्षेत्र में धर्मांतरण का मामला उजागर हुआ, जिसके बाद हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने इसे सुनियोजित साजिश बताते हुए कहा, “भोले-भाले लोगों को फुसलाकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। अब समय आ गया है कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए।”
इस पूरे विवाद के बीच राज्य सरकार धर्म स्वातंत्र्य कानून लाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि सरकार ने 17 पॉइंट्स का एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिस पर चर्चा की जा रही है। लेकिन कानून बनने से पहले ही प्रदेश की सियासत गरमा गई है।
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा, “भाजपा सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेकने में लगी है। जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने क्या किया?” वहीं, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इसे एक गंभीर मामला बताते हुए कहा कि सरकार इस पर सख्त कदम उठाएगी।
क्या कहती है जनता?
धर्मांतरण को लेकर जनता की भी अलग-अलग राय है। कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक मुद्दा मानते हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर सख्त कानून आएगा या यह सिर्फ सियासत की भेंट चढ़ जाएगा? जवाब विधानसभा सत्र में मिलने की उम्मीद है!