जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भेड़ाघाट अपनी अनूठी प्राकृतिक खूबसूरती और ऐतिहासिक धरोहर के लिए देश-विदेश के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। संगमरमर की ऊंची-ऊंची सफेद चट्टानों के बीच से बहती नर्मदा नदी का नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता। यहां का धुआंधार जलप्रपात, चौसठ योगिनी मंदिर और पंचवटी घाट जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों ने भेड़ाघाट को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में इसका शामिल होना न केवल जबलपुर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
संगमरमरी चट्टानों का अनूठा संसार
भेड़ाघाट की सबसे बड़ी खासियत यहां की 100-100 फीट ऊंची संगमरमर की चट्टानें हैं, जो नर्मदा नदी के दोनों ओर खड़ी हैं। सफेद, गुलाबी, काले और भूरे रंग के संगमरमर से ढकी ये चट्टानें सूरज की रोशनी में चमकती हैं और पानी में उनका प्रतिबिंब एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। पर्यटक नौका विहार के जरिए इन चट्टानों की सुंदरता को नजदीक से देखने का आनंद लेते हैं। शाम के समय चांद की दूधिया रोशनी में संगमरमर की चट्टानें किसी सपने जैसी लगती हैं।
धुआंधार जलप्रपात: प्रकृति का जादुई नजारा
भेड़ाघाट का धुआंधार जलप्रपात नर्मदा नदी की सबसे खूबसूरत कृतियों में से एक है। करीब 50 फीट की ऊंचाई से जब पानी चट्टानों पर गिरता है तो एक धुंए जैसा नजारा उत्पन्न होता है, जिसे देखने लाखों पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं। मानसून के दौरान यह नजारा और भी रोमांचक हो जाता है।

रोपवे से निहारें दिलकश नजारे
भेड़ाघाट में पर्यटकों के लिए रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे नर्मदा नदी, संगमरमर की घाटियां और धुआंधार जलप्रपात को एक नए दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। ऊंचाई से दिखाई देने वाला यह नजारा पर्यटकों के कैमरे में कैद होने वाला यादगार पल बन जाता है।
इतिहास की झलक देता चौसठ योगिनी मंदिर
भेड़ाघाट में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर 10वीं शताब्दी का एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। कलचुरी काल में निर्मित इस मंदिर में 64 योगिनियों (देवियों) की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो कला और वास्तुकला की दृष्टि से अद्भुत हैं। इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है।
नर्मदा उत्सव में झलकती है सांस्कृतिक विरासत
शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर साल भेड़ाघाट में दो दिवसीय नर्मदा उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान देशभर के प्रसिद्ध कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। चांद की रोशनी में संगमरमर की घाटियां दूधिया रंग में नहाई हुई प्रतीत होती हैं, जो पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।
सालभर बना रहता है सैलानियों का तांता
भेड़ाघाट पूरे साल सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर मानसून और शरद पूर्णिमा के दौरान यहां की खूबसूरती अपने चरम पर होती है। प्राकृतिक प्रेमी, फोटोग्राफर और इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटक यहां की सुंदरता को अपने कैमरे में कैद करने से नहीं चूकते।

कैसे पहुंचे भेड़ाघाट?
भेड़ाघाट तक पहुंचना बेहद आसान है।
- वायुमार्ग: जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट यहां से 30 किलोमीटर की दूरी पर है।
- रेलमार्ग: भेड़ाघाट स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। जबलपुर रेलवे स्टेशन से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग: जबलपुर से नियमित बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। भेड़ाघाट जबलपुर-भोपाल मार्ग पर स्थित है।
यूनेस्को की सूची में शामिल होने का इंतजार
भेड़ाघाट का यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल होना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि जबलपुर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर एक विशेष स्थान दिलाएगा। प्रशासन भी इस दिशा में लगातार प्रयासरत है कि भेड़ाघाट को विश्व धरोहर का दर्जा मिले।