रायपुर।
गुजरात में इन दिनों कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन जारी है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेता से लेकर क्षेत्रीय प्रतिनिधि भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इस अधिवेशन को पार्टी की संगठनात्मक मजबूती और आगामी चुनावी रणनीति के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है। कांग्रेस के इस आयोजन के जरिए पार्टी के भीतर संवाद, समन्वय और भविष्य की दिशा तय करने की कोशिश की जा रही है।
उधर, भारतीय जनता पार्टी ने भी संगठनात्मक स्तर पर अपनी रणनीतियों को धार देने के लिए मैराथन बैठक की। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन मंथन किया गया। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही इन गतिविधियों को आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इन आयोजनों को लेकर जुबानी जंग भी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांग्रेस के अधिवेशन पर तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस ऐसे आयोजन तो करती रहती है, लेकिन उनके कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहा है।”
मुख्यमंत्री के बाद कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने भी कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “कांग्रेस शेर की खाल में छिपे भेड़ियों की तरह है, जो दिखावा तो कुछ और करते हैं लेकिन असलियत कुछ और होती है।”
बीजेपी नेताओं के इन बयानों पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, “कांग्रेस का हर एक कार्यकर्ता बब्बर शेर है। हम उन गधों की तरह नहीं हैं जो दो लोगों का बोझ ढो रहे हैं। सरकार खुद तो संभल नहीं रही, और कांग्रेस पर आरोप मढ़ रही है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों ही दलों के बीच चल रही बयानबाज़ी सीधे तौर पर आने वाले चुनावों की तैयारी का संकेत है, जहाँ अब संगठनात्मक शक्ति प्रदर्शन और आक्रामक तेवर देखने को मिल रहे हैं।