तहसीलदारों से छीना गया अधिकार, रजिस्ट्रार-सब रजिस्ट्रार को सौंपी गई जिम्मेदारी
रायपुर।
प्रदेश में ज़मीन की खरीद-फरोख़्त के बाद होने वाले नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया में राज्य सरकार ने ऐतिहासिक बदलाव करते हुए एक नई व्यवस्था लागू कर दी है। अब रजिस्ट्री के तुरंत बाद खरीदार के नाम पर ज़मीन का नामांतरण स्वतः हो जाएगा। इस नई व्यवस्था के तहत तहसीलदारों से नामांतरण का अधिकार वापस लेकर इसे रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को सौंप दिया गया है।
सरकार ने इस निर्णय को लागू करने के लिए गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इसका मकसद नामांतरण की प्रक्रिया को सरल, तेज़ और पारदर्शी बनाना है।
पहले क्या होता था?
अब तक ज़मीन की रजिस्ट्री के बाद खरीदार को नामांतरण के लिए अलग से तहसील कार्यालय जाकर आवेदन देना पड़ता था। इसके बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया शुरू होती थी, जिसमें समय भी लगता था और कई बार भ्रष्टाचार या फर्जीवाड़े की शिकायतें भी सामने आती थीं।
खासकर किसानों को इस प्रक्रिया में ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता था। जब तक नामांतरण नहीं होता, वे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते थे—यहां तक कि समर्थन मूल्य पर धान बेचने में भी उन्हें अड़चनें आती थीं।
अब क्या बदलेगा?
नई व्यवस्था के लागू होने के बाद अब रजिस्ट्री के साथ ही संबंधित खरीदार के नाम ज़मीन का ऑटोमैटिक म्यूटेशन हो जाएगा। इससे नामांतरण के लिए किसी अतिरिक्त प्रक्रिया या आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी।
इसका असर क्या होगा?
- प्रक्रिया में तेजी आएगी
- भू-माफियाओं और बिचौलियों की भूमिका घटेगी
- फर्जी नामांतरण और कागज़ों की हेराफेरी पर रोक लगेगी
- किसानों को तुरंत लाभ मिलेगा, खासकर समर्थन मूल्य की खरीद में
- सरकारी रेकॉर्ड अधिक डिजिटल और अप-टू-डेट रहेंगे
राज्य सरकार का यह निर्णय डिजिटल गवर्नेंस और ई-रजिस्ट्री को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।