रायपुर, 27 जून | छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने प्रदेश में बारिश के मौसम में जलजनित बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य और प्रशासनिक अमले को अलर्ट करते हुए 5 महत्वपूर्ण अनुशंसाएं शासन को सौंपी हैं।
डॉ. शर्मा ने बताया कि जुलाई से सितंबर तक के बरसात के मौसम में डायरिया, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियाँ आम हो जाती हैं। हाल ही में समाचार पत्रों और वेब पोर्टलों के माध्यम से राज्य के विभिन्न जिलों में दूषित जल से बीमार होने की घटनाएं सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य शासन द्वारा पूर्व में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन इनका क्रियान्वयन ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने निम्नलिखित उपायों की अनुशंसा की है:
- ओ.आर.एस. व ज़िंक की पर्याप्त उपलब्धता: गंदे पानी के सेवन से होने वाले डायरिया के उपचार हेतु ओआरएस और जिंक की गोलियां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, मितानिनों व आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से मुहैया कराई जाएं।
- सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता: बीमारियों से बचाव हेतु स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता के नियमों का पालन, पानी कीटाणु रहित करने के उपाय तथा डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
- रैपिड रिस्पॉन्स टीम: विकासखंड स्तर पर रैपिड रिस्पॉन्स टीम गठित कर संभावित संक्रमण फैलाव की स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
- जल स्रोतों की स्थिति की जांच: लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सहयोग से हैण्डपंप, जल स्त्रोतों की स्थिति की जांच कर आवश्यक मरम्मत व सफाई के निर्देश जारी किए जाएं।
- हाई रिस्क एरिया में जनचौपाल: जलजनित रोगों की आशंका वाले क्षेत्रों को चिन्हांकित कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनजागरूकता अभियान चलाया जाए, जिसमें ओ.आर.एस. घोल बनाना, साफ पानी पीना और डिहाइड्रेशन से बचने के उपायों की जानकारी दी जाए।
डॉ. शर्मा ने इस संबंध में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, संचालनालय, सभी जिला कलेक्टरों और सीएमएचओ को पत्र भेजकर संवेदनशीलता के साथ इन अनुशंसाओं को लागू करने की अपील की है।