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मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के एवज में रिश्वत लेते 6 गिरफ्तार, 3 डॉक्टर शामिल


रायपुर के रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर भी गिरफ्तार, छत्तीसगढ़ सहित 6 राज्यों में छापेमारी

सीबीआई की देशभर में बड़ी कार्रवाई

रायपुर, 2 जुलाई 2025
मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मान्यता दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी के संगीन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देशभर में एक बड़ी कार्रवाई की है। नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च से जुड़ी इस कार्रवाई में CBI ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें तीन डॉक्टर भी शामिल हैं।

रंगे हाथ 55 लाख की रिश्वत लेते पकड़े गए

CBI ने इन आरोपियों को बेंगलुरु में 55 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। ये रकम NMC की निरीक्षण टीम को अनुकूल रिपोर्ट देने के लिए दी जा रही थी। गिरफ्तार लोगों में कॉलेज के शीर्ष अधिकारी, निरीक्षण टीम के सदस्य डॉक्टर और एक महिला बिचौलिए शामिल हैं।

गिरफ्तार हुए प्रमुख आरोपी

CBI सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में प्रमुख नाम हैं:

डॉ. अतिन कुंडू, मेडिकल डायरेक्टर – रायपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहते हुए डबल नौकरी करते हुए निजी मेडिकल कॉलेज के लिए कार्य कर रहे थे।

अतुल तिवारी, एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर

डॉ. अशोक डी. शेल्के, डॉ. मंजप्पा, और चित्रा मदनहल्ली – NMC की निरीक्षण टीम से जुड़े सदस्य

एक अन्य महिला बिचौलिए, जिसकी पहचान गोपनीय रखी गई है।

भ्रष्टाचार का जाल, देशभर में फैली जड़ें

CBI को इनपुट मिला था कि कुछ मेडिकल कॉलेजों द्वारा NMC की मान्यता प्रक्रिया में रिश्वत देकर फर्जी अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। इस सूचना के आधार पर एजेंसी ने कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्यप्रदेश के 40 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।

रावतपुरा मेडिकल कॉलेज पर गंभीर आरोप

CBI के अनुसार रावतपुरा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने NMC की निरीक्षण टीम को प्रभावित करने के लिए मोटी रकम की पेशकश की थी। कॉलेज को मान्यता दिलाने की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है।

कोर्ट में पेशी और रिमांड

गिरफ्तार सभी छह आरोपियों को मंगलवार को रायपुर स्थित CBI की विशेष अदालत में न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह ठाकुर की अदालत में पेश किया गया, जहां CBI ने आरोपियों की 5 दिन की रिमांड की मांग की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना, और आगे की कार्रवाई जारी है। CBI ने यह भी संकेत दिए हैं कि मामले में और गिरफ्तारियां संभव हैं।

बचाव पक्ष का पक्ष

भूपेंद्र जैन, बचाव पक्ष के वकील ने कहा:
“हमारे मुवक्किल निर्दोष हैं। CBI के पास उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। हम न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। यह कार्रवाई जल्दबाजी में की गई प्रतीत होती है।”

शिक्षा तंत्र पर सवाल

CBI की इस कार्रवाई ने देशभर में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और नैतिकता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड यूं ही चलता रहा, तो चिकित्सा के क्षेत्र में गुणवत्ता और जनविश्वास दोनों पर गहरा संकट खड़ा हो जाएगा।

सीबीआई की यह कार्रवाई केवल रिश्वत के खिलाफ नहीं, बल्कि मेडिकल शिक्षा के पूरे ढांचे में फैले एक संगठित भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कदम के रूप में देखी जा रही है। आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े और भी नाम सामने आ सकते हैं।

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