रायपुर, 12 जुलाई 2025।
केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास उइके ने कहा है कि छत्तीसगढ़ जनजातीय संग्रहालय न केवल राज्य की समृद्ध आदिवासी विरासत को संरक्षित करेगा, बल्कि युवाओं में अपनी संस्कृति के प्रति आत्मगौरव और जागरूकता का भाव भी पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि संग्रहालय का जीवंत प्रदर्शन जनजातीय जीवनशैली को नजदीक से समझने का अवसर प्रदान करता है।
नवा रायपुर स्थित आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (टीआरटीआई) परिसर में स्थापित इस संग्रहालय का निरीक्षण करते हुए श्री उइके ने कहा कि पाश्चात्य प्रभावों के इस युग में जनजातीय समाज की सांस्कृतिक पहचान को सहेजना जरूरी है, और यह संग्रहालय इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
केंद्रीय मंत्री ने संग्रहालय की 14 गैलरियों का गहन अवलोकन किया, जिसमें जनजातीय समाज के पारंपरिक वाद्ययंत्र, कृषि उपकरण, आवास, शिकार एवं घरेलू तकनीकों, कला-कौशल और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को अत्यंत जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने अबुझमाड़िया जनजाति की गोटुल व्यवस्था, भुंजिया जनजाति के लाल बंगला, बांस, काष्ठ व गोदना कला की विशेष रूप से सराहना की।
संग्रहालय में डिजिटलीकरण और एआई तकनीकों के उपयोग की जानकारी प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने दी। श्री उइके ने कहा कि यह तकनीकी समावेश संग्रहालय को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट बनाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस संग्रहालय का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा 14 मई 2025 को किया गया था। लगभग 9 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह संग्रहालय अब आम जनता, शोधार्थियों और पर्यटकों के लिए खुला है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों आगंतुक पहुंच रहे हैं।
इस अवसर पर राज्य के आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम, टीआरटीआई के संचालक जगदीश सोनकर तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री श्री उइके ने शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह संग्रहालय के निर्माण कार्य की भी समीक्षा की। उन्होंने निर्माण कार्य की गुणवत्ता और डिजिटली प्रेजेंटेशन की सराहना करते हुए निर्देश दिए कि यह संग्रहालय 30 सितंबर तक पूर्ण कर लिया जाए।
श्री उइके ने अंत में संग्रहालय निर्माण में जुटी पूरी टीम को उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों के लिए बधाई दी और विश्वास जताया कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक पटल पर स्थापित करेगा।