रायपुर/नवा रायपुर, 15 जुलाई 2025 | संवाददाता
नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) ने कॉलेज में इस शैक्षणिक सत्र (2025-26) में नए छात्रों के दाखिले पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। यह फैसला उस भ्रष्टाचार मामले की जांच के बाद लिया गया है, जिसमें कॉलेज प्रशासन पर मेडिकल काउंसिल के कुछ अधिकारियों को रिश्वत देने के गंभीर आरोप हैं।
CBI की कार्रवाई के बाद एनएमसी का बड़ा फैसला
एनएमसी ने साफ किया है कि सीबीआई की जांच में शामिल किसी भी मेडिकल कॉलेज की मान्यता का नवीनीकरण (रिनुअल) नहीं किया जाएगा और न ही उनकी सीटों में वृद्धि की अनुमति दी जाएगी। साथ ही, एनएमसी जांच दल के जिन चार डॉक्टरों के नाम इस रिश्वतकांड की एफआईआर में दर्ज हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट करने का आदेश भी दिया गया है।
एनएमसी के इस फैसले का सीधा असर छात्रों पर पड़ेगा। कॉलेज में दाखिले की उम्मीद लगाए बैठे सैकड़ों विद्यार्थियों को अब निराशा का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि नवा रायपुर के श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज ने इस वर्ष 250 एमबीबीएस सीटों की मान्यता के लिए आवेदन किया था। आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने मान्यता दिलाने के बदले एनएमसी के कुछ अधिकारियों को 55 लाख रुपये की रिश्वत दी।
सीबीआई ने मई 2025 में इस मामले की छापेमारी के दौरान 6 लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तारियों में मेडिकल काउंसिल से जुड़े लोग और कॉलेज प्रबंधन के सदस्य शामिल हैं। सीबीआई की इस कार्रवाई ने मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर कर दिया।
छात्रों और अभिभावकों में रोष
इस फैसले से कॉलेज में एडमिशन की तैयारी कर रहे छात्रों में भारी असमंजस की स्थिति बन गई है। कई छात्र जो NEET में सफल हो चुके हैं और रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को अपनी प्राथमिकता मान रहे थे, अब दूसरे विकल्प तलाशने को मजबूर हैं।
अभिभावकों का कहना है कि यदि समय रहते शासन और प्रशासन पारदर्शिता से कार्रवाई करता, तो छात्रों का भविष्य अधर में न पड़ता।
सरकारी तंत्र पर उठे सवाल
मेडिकल कॉलेजों में मान्यता की प्रक्रिया को लेकर सरकार और एनएमसी की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या एनएमसी के उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे संस्थान सालों से भ्रष्टाचार कर रहे हैं?
मामला अब केवल रावतपुरा कॉलेज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह मेडिकल शिक्षा प्रणाली की साख पर भी सीधा हमला है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया संभव
माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा सत्र में विपक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगा। पहले से ही शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे कांग्रेस और अन्य दल अब एनएमसी और सीबीआई की रिपोर्ट को आधार बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं।