रायपुर।
कलम के धनी अब सुरों से सजाएंगे शाम। रायपुर के पत्रकार इस बार खबरें नहीं, सुर-ताल में गीत सुनाएंगे। 2 अगस्त, शनिवार को राजधानी के छत्तीसगढ़ी दाऊ अग्रवाल समाज भवन (पुरानी बस्ती) में आयोजित होगा अनोखा कार्यक्रम “सुरीले कलमकार”, जिसमें छत्तीसगढ़ के मीडिया से जुड़े पत्रकार अपने पसंदीदा गीतों को सुरों में ढालेंगे।
कार्यक्रम के संयोजक कौशल स्वर्णबेर ने बताया कि पत्रकारिता के दबावपूर्ण माहौल से कुछ पल निकालकर इस आयोजन के ज़रिए पत्रकारों की छुपी हुई कला और गायन प्रतिभा को सामने लाया जाएगा। कार्यक्रम में करीब 30 पत्रकार मंच पर प्रस्तुति देंगे।
इस आयोजन में दाऊ अग्रवाल समाज के अध्यक्ष अनुराग अग्रवाल का विशेष सहयोग रहेगा। वहीं आयोजन समिति में दीपक पांडेय, जगजीत सिंह उर्फ जग्गा, मुकेश वर्मा, सुरेश वैष्णव, राहुल सिन्हा, आकांक्षा दुबे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
जानें कौन क्या गाएगा: सुरों में सजेगा पत्रकारों का जज़्बा, ये हैं वो सुरीले पत्रकार, जो अपने पसंदीदा नग़मों से रंग जमाने को तैयार हैं —
- दीपक पांडेय
रात कली एक ख्वाब में आई
किसका रस्ता देखें, ऐ दिल-ए-सौदाई - जगजीत सिंह
ग़म का फ़साना बन गया अच्छा – किशोर कुमार
दीवानों से ये मत पूछो – मुकेश - सरिता दुबे
इक प्यार का नगमा है
ए दिल मुझे बता दे तू किसके लिए आया है - अख्तर हुसैन
मेरे दिल ने तड़प के जब नाम लिया
छलकाए जाम आइए आपकी आंखों के नाम - निकष परमार
हम तुमसे मोहब्बत करके हंसते भी रहे रोते भी रहे
आंसू भरी है ये जीवन की राहें - मुकेश वर्मा
किसी बात पर मैं किसी से खफा हूं (बेमिसाल)
सुहानी चांदनी रातें हमें सोने नहीं देतीं
चलो रे डोली उठाव, कहा – (जानी दुश्मन) - राहुल सिन्हा
नज़राना भेजा किसी ने प्यार का
ना जा कहीं अब ना जा – दिल के सिवा कोई नहीं है तेरा - सुरेश वैष्णव
जीवन भर ढूंढा जिसको
तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल - राजकुमार सोनी
ज़िंदगी एक सफर है सुहाना – किशोर कुमार
चला जाता हूं किसी की धुन में - कौशल स्वर्णबेर
रिमझिम गिरे सावन
ये शाम मस्तानी मदहोश किए जाए
दीवाना लेके आया है दिल का फसाना - अमिताभ अरुण दुबे
आने वाला पल, जाने वाला है
तुम बिन जाऊं कहां - रुपेश यादव
रात और दिन दिया जले
तुम अगर मुझको न चाहो - श्रवण शर्मा
मेरा जीवन कोरा कागज़, कोरा ही रह गया
मेरी तमन्नाओं की तक़दीर तुम संवार दो - गंगेश द्विवेदी
हम बेवफा हरगिज़ न थे
क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा - दामू आंबेडारे
तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है - शिवशंकर सोनपिपरे
एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकात हो गई
ओ हंसनी कहां उड़ चली, मेरे अरमानों के साथ - हेमंत डोंगरे
चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना…
दिल टूटा, तू रूठा – भोले ओ भोले - कौशल तिवारी
दीवाना हुआ बादल…
तुम भी चलो, हम भी चले - अंकित मिश्रा
बदन पे सितारे लपेटे हुए
ज़िंदगी का सफर है ये कैसा सफर - आकांक्षा दुबे
हम तुम चोरी से, बंधे एक डोरी से
भीगी-भीगी रातों में - संजीव दीवान
चंदा ओ चंदा, किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया
दिल की आवाज़ भी सुन - विभाष झा
मेरे नैना सावन भादो, फिर भी मेरा मन प्यासा - प्रवीण सिंह
लागे रहीथे दीवाना तोर संग मोर माया लगे रहीथे
बखरी के तुमा नार बरोबर - अरुण बागड़े
जल मछरी
मोर मनीषा, हाय रे मोर मनीषा - प्रत्यूष शर्मा
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे - एस.बी. द्विवेदी
हमने जफा ना सीखी - धीरज मिश्रा (INH)
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कार्यक्रम आयोजकों ने बताया कि इस कार्यक्रम को हर वर्ष आयोजित करने की योजना है, जिससे पत्रकारिता के दबाव से हटकर एक सांस्कृतिक और रचनात्मक वातावरण निर्मित किया जा सके। कार्यक्रम में आने के लिए प्रवेश नि:शुल्क रहेगा और सभी शहरवासी आमंत्रित हैं।
