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खुशवंत, राजेश और गजेंद्र की एंट्री तय – जाति और क्षेत्रीय राजनीति से परे रणनीति

छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल विस्तार : भाजपा ने नए समीकरणों से साधा संतुलन, पढ़ें और समझें नई समीकरण

जगजीत सिंह……की कलम …….

रायपुर, 19 अगस्त।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सस्पेंस अब लगभग खत्म हो गया है। भाजपा के भीतर लंबी मंथन प्रक्रिया के बाद पार्टी ने जिन नामों पर अंतिम मुहर लगाई है, उनमें खुशवंत साहेब, राजेश अग्रवाल और गजेंद्र यादव प्रमुख हैं। दिलचस्प यह है कि भाजपा इस बार सिर्फ परंपरागत जातीय समीकरणों पर नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश और संगठनात्मक मजबूती को प्राथमिकता देती दिख रही है।

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अनुसूचित जाति वर्ग से खुशवंत की लॉटरी

इस बार भाजपा के केवल चार विधायक अनुसूचित जाति वर्ग से जीतकर आए हैं। इनमें पुन्नूलाल मोहले और दयालदास बघेल वरिष्ठ चेहरा हैं, जबकि डोमनलाल कुरसेवाड़ा और खुशवंत साहेब अपेक्षाकृत नए चेहरे हैं।
दयालदास पहले ही मंत्री हैं, पुन्नूलाल को उम्र और वरिष्ठता के कारण विकल्प से बाहर कर दिया गया। डोमनलाल की ददुर्ग से जुड़ी पृष्ठभूमि भी निर्णायक नहीं मानी गई। नतीजतन, खुशवंत साहेब ही सबसे उपयुक्त विकल्प बने।

भाजपा की परंपरा रही है कि सत्ता में रहते समय SC वर्ग से कम से कम दो मंत्री बनाए जाते हैं, क्योंकि इस वर्ग से पार्टी को हमेशा मजबूत समर्थन मिलता रहा है। इस बार सीटें भले ही कम मिली हों, फिर भी पार्टी ने उसी फॉर्मूले को कायम रखा है।
हालांकि खुशवंत साहेब पहले से ही अनुसूचित जाति प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर हैं। भाजपा का “एक व्यक्ति, एक पद” सिद्धांत अब तक सख्ती से लागू होता रहा है। ऐसे में खुशवंत को मंत्री बनाना चौंकाने वाला है। माना जा रहा है कि उन्हें मंत्री बनाते ही प्राधिकरण का पद खाली कराया जाएगा और वह जिम्मेदारी डोमनलाल को सौंपी जा सकती है।
कम विधायकों के बावजूद SC वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व देना अब अन्य जातीय वर्गों में चर्चा का विषय है।

अग्रवाल समाज से राजेश की एंट्री, अमर बाहर

बृजमोहन अग्रवाल के बाहर होने के बाद पार्टी पर दबाव था कि अग्रवाल समाज से किसी को प्रतिनिधित्व दिया जाए। अंतिम समय में पार्टी ने राजेश अग्रवाल पर दांव लगाया।
राजेश अग्रवाल सरगुजा रीजन से हैं, जहां पहले से चार मंत्री मौजूद हैं। उनकी एंट्री के साथ ही इस क्षेत्र से मंत्रियों की संख्या पांच हो जाएगी, जिससे क्षेत्रीय संतुलन गड़बड़ाने की आशंका है।
अमर अग्रवाल का नाम किनारे कर दिया गया। वजह – वह ओल्ड गार्ड की श्रेणी में आते हैं और उनका खरसिया कनेक्शन भी उनकी राह में बाधा बना। ऐसे में पार्टी ने नए चेहरे को चुनकर यह संदेश दिया है कि अब नए नेतृत्व को तरजीह दी जाएगी।

राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि समीकरण संतुलित करने के लिए भविष्य में सरगुजा से मंत्रियों की संख्या घटानी पड़ सकती है। साथ ही, कांकेर और बस्तर जैसे इलाकों से, जहां भाजपा को भारी समर्थन मिला है, नए चेहरों को मंत्री बनाए जाने की संभावना भी खुली हुई है।

गजेंद्र यादव पर सर्वसम्मति

गजेंद्र यादव का नाम सामने आने के बाद पार्टी और संगठन, दोनों में सहमति बन गई। यह पहला मौका है जब यादव समाज से संगठन पृष्ठभूमि वाले नेता को सीधा मंत्री पद दिया जा रहा है।
वंशवाद की चर्चाएं भले उठीं हों, लेकिन गजेंद्र यादव की लोकप्रियता और संगठन के साथ गहरा जुड़ाव ही उनकी सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है। प्रदेश में यादव समाज की बड़ी संख्या और राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए पार्टी ने यह फैसला किया है।

नई रणनीति, नए संदेश

इस मंत्रिमंडल विस्तार से साफ है कि भाजपा जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ-साथ राजनीतिक संदेश पर भी ध्यान दे रही है।

खुशवंत साहेब को मंत्री बनाकर SC वर्ग को मजबूत संदेश।

राजेश अग्रवाल को मौका देकर अग्रवाल समाज को प्रतिनिधित्व।

गजेंद्र यादव की एंट्री से यादव समाज और संगठन को साधने की कोशिश।

कौन क्यों बना मंत्री?

खुशवंत साहेब – SC वर्ग से प्रतिनिधित्व, प्राधिकरण पद छोड़कर मंत्री पद की तैयारी।

राजेश अग्रवाल – अग्रवाल समाज को प्रतिनिधित्व, अमर अग्रवाल को किनारे कर नए चेहरों को मौका।

गजेंद्र यादव – यादव समाज और संगठन से जुड़ा चेहरा, सर्वसम्मति से मंत्री पद की राह आसान।

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