रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में अब ‘गुजरात मॉडल’ नया विवाद बन गया है। एक ओर भाजपा सरकार इसे निवेश और विकास का प्रतीक बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह मॉडल प्रदेश की जमीन, जंगल और खनिज संपदा को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने की तैयारी है। अहमदाबाद इन्वेस्टर कनेक्ट के बाद यह मुद्दा और भी गरम हो गया है।
विपक्ष से पूर्व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल का कहना है कि छत्तीसगढ़ में अब वही नीति अपनाई जा रही है, जो गुजरात में लागू की गई थी — “राज्य की संपत्ति उद्योगपति मित्रों को सौंपो, जनता के हिस्से में कुछ नहीं छोड़ो।”
यह आरोप लगाया है कि रामगढ़ की पहाड़ी से लेकर हसदेव अरण्य के जंगल तक लगातार औद्योगिक दोहन जारी है। अब नंदीगांव और अबूझमाड़ के जंगलों और पहाड़ियों पर भी खनन की तैयारी की जा रही है। उनका कहना है कि यह सब तथाकथित ‘गुजरात मॉडल’ का ही हिस्सा है, जिसके तहत प्राकृतिक संपदा को निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है।
विपक्ष के अनुसार, गुजरात मॉडल का मतलब है — “पूरी संपत्ति को कुछ चुनिंदा कॉरपोरेट घरानों, खासकर अडानी-अंबानी समूह, को सौंप देना।” विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार निवेश के नाम पर छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक संपदा की नीलामी कर रही है, जिससे न तो पर्यावरण बचेगा और न ही आदिवासी इलाकों की पहचान।
भाजपा ने कहा — विकास विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है विपक्ष
भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सीए अमित चिमनानी ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ तेजी से औद्योगिक प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद इन्वेस्टर कनेक्ट में प्रदेश को 33,321 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे 15 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा।
चिमनानी ने कहा कि थर्मल पावर, ग्रीन स्टील, फार्मा, मेडिकल फूड सप्लीमेंट, सोलर सेल और सेमिकंडक्टर जैसे सेक्टरों में बड़े निवेशक रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि “यह निवेश छत्तीसगढ़ की सुविचारित और सुस्पष्ट उद्योग नीति का परिणाम है, जिसने राज्य को निवेशकों के लिए सबसे भरोसेमंद गंतव्य बना दिया है।”
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बीते 22 महीनों में सरकार ने 350 से अधिक सुधार किए हैं, जिससे उद्योग स्थापित करना और अधिक सुगम हुआ है। सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से अनुमति प्रक्रिया को तेज किया गया है, जिससे निवेशकों को अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता।
डीपीआईआईटी रैंकिंग और रिकॉर्ड वाहन बिक्री को बताया उपलब्धि
चिमनानी ने कहा कि डीपीआईआईटी की टॉप अचीवर रैंकिंग में छत्तीसगढ़ को स्थान मिलना इस बात का प्रमाण है कि राज्य विकास की राह पर अग्रसर है। उन्होंने त्योहारी सीजन में हुई रिकॉर्ड वाहन बिक्री का जिक्र करते हुए कहा कि “इस बार नवरात्रि से धनतेरस तक 1 लाख 75 हजार से अधिक वाहन बिके हैं, जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। यह सरकार की नीतियों और जीएसटी में राहत का असर है।”
उन्होंने कहा कि नवा रायपुर को आईटी और एआई डेटा सेंटर हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमिकंडक्टर कंपनियों के लिए नई संभावनाएं खुली हैं। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से हॉस्पिटैलिटी और वेलनेस सेक्टर में भी निवेश बढ़ रहा है।
विकास या संसाधनों की सौदेबाजी — जनता में उठे सवाल
एक ओर भाजपा सरकार निवेश को प्रदेश की उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे संसाधनों की लूट बता रहा है।
विपक्ष का कहना है कि “भले ही निवेश के आंकड़े बड़े दिखाए जा रहे हों, लेकिन इसका लाभ स्थानीय जनता तक नहीं पहुंचेगा। खदानें, जंगल और जलस्रोत खत्म हो जाएंगे, जबकि फायदा केवल कुछ कंपनियों को होगा।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में यह बहस अब केवल उद्योग और निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संसाधन, पर्यावरण और जनहित की दिशा तय करेगी।
विकास की इस जंग में एक तरफ “निवेश का सुनहरा भविष्य” है, तो दूसरी तरफ “जंगल-जमीन की चिंता” — और यही आने वाले समय में राज्य की सियासत का अहम मुद्दा बन सकता है।
