अंबिकापुर / सरगुजा, 03 दिसंबर। अमेरा कोयला खदान के विस्तार को लेकर मंगलवार को इलाके में भारी तनाव फैल गया। खदान विस्तार का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें लाठी-डंडे, पत्थर, गुलेल और कुल्हाड़ियों का इस्तेमाल किए जाने से हालात बेकाबू हो गए। संघर्ष में 40 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। कई ग्रामीणों के भी घायल होने की खबर है, हालांकि उनका आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पाया है।

खदान एक्सटेंशन की प्रक्रिया बना विवाद का कारण
घटना लखनपुर थाना क्षेत्र के परसोड़ी कला और आसपास के गांवों की है। ग्रामीणों का आरोप है कि कोयला खदान का विस्तार बिना ग्रामसभा की सहमति, बिना उचित मुआवजा और बिना पर्यावरणीय आकलन के आगे बढ़ाया जा रहा है। वर्षों से खदान से प्रभावित परिवारों का कहना है कि लगातार बढ़ती खदान गतिविधियों से खेती की जमीन, जंगल और जल स्रोत तेजी से नष्ट हो रहे हैं, जिससे आजीविका पर संकट गहराता जा रहा है।
मंगलवार सुबह ग्रामीण बड़ी संख्या में खदान स्थल के पास एकत्र हुए और विस्तार कार्य रोकने की मांग करने लगे। स्थिति तब बिगड़ी जब पुलिस ने ग्रामीणों को हटाने का प्रयास किया और भीड़ अचानक उग्र हो गई।
गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस पर किया हमला
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुलिस जवानों की तैनाती बढ़ाने के कुछ ही मिनट बाद ग्रामीण आक्रामक हो गए और पुलिस पर धावा बोल दिया। कई ग्रामीणों के हाथों में लाठी-डंडे, कुल्हाड़ियां और गुलेलें थीं। भीड़ ने पुलिस पर पत्थर बरसाए और हाथापाई तक की नौबत पहुंच गई।
अचानक हमले से पुलिस बल पीछे हट गया और घायल जवानों को एंबुलेंस के सहारे अस्पताल पहुंचाया गया। मौके पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने हालात नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस फोर्स बुलाई। इस दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए।
इलाके में तनाव, भारी पुलिस बल तैनात
झड़प के बाद से पूरे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है।


खदान के आसपास पुलिस के कई दल तैनात कर दिए गए हैं।
आसपास के गांवों में प्रवेश-निकास मार्गों पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
ग्रामीणों और पुलिस के बीच दोबारा टकराव की आशंका को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है।
ग्रामीणों का पक्ष
“हमारी जमीन, जंगल और पानी खतरे में है। पहले की खदान ने ही सब खत्म कर दिया, अब और विस्तार किया जा रहा है। मुआवजा भी नहीं मिलता, रोजगार भी नहीं मिलता,” विरोध में जुटे ग्रामीणों ने आरोप लगाया।
ग्रामीणों ने कहा कि जब तक बातचीत कर समाधान नहीं निकाला जाता, वे खदान विस्तार नहीं होने देंगे।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, “स्थिति नियंत्रण में है और हिंसा भड़काने वालों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।” प्रशासन का कहना है कि वार्ता के रास्ते खुले हैं और समस्या समाधान की कोशिश की जाएगी।
खदान विस्तार और भूमि अधिग्रहण से संबंधित दस्तावेजों तथा ग्रामसभा की सहमति को लेकर प्रशासनिक स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं की गई है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार पहले पारदर्शिता के साथ जानकारी दे, फिर कार्य आगे बढ़ाए।
सरगुजा क्षेत्र में खनन गतिविधियों के विस्तार को लेकर कई वर्षों से असंतोष बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि खदानों से रोजगार की बजाय विस्थापन, प्रदूषण और कृषि भूमि के क्षरण की समस्या बढ़ रही है। दूसरी ओर, खदान प्रबंधन और प्रशासन का पक्ष है कि खनन से प्रदेश को राजस्व एवं रोजगार में बढ़ोत्तरी होती है।
