कांग्रेस के विधायकों को जिता कर भेजा और अनुसूचित जाति जिसने अपनी आरक्षित 6 सीटों पर कांग्रेस को जिताया, क्या इन समाज के किसी विधायक को भी मुख्यमंत्री के शपथग्रहण के दिन इन वर्गों मंत्रियों के साथ मंत्रिपद की शपथ नहीं दिलवाई जानी थी? साथ ही अति पिछड़ा वर्ग- पहली बार कोई विधायक निषाद समाज से निर्वाचित हुआ है, यादव और मरार भी हैं- को भी कोई प्रतिनिधतिव नहीं दिया गया है।
रायपुर / जोगी ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह समेत राष्ट्रीय राजनीती के अनेकों दिग्गजों की मौजूदगी में अनुसूचित जाति, आदिवासी और अति पिछड़ा वर्ग के विधायक को मंत्री के रूप में शपथ लेते हुए ये समाज गौरवान्वित होते। ऐसा न करके कांग्रेस पार्टी ने यह दिखा दिया है कि उनकी नज़रों में इन समाजों को दोहरा-दर्जे के नागरिक है। जिनका तीन-सदसीय सामूहिक नेतृत्व में कोई स्थान नहीं है।
श्री अजीत जोगी ने सवाल किया कि जब मंत्रियों के नाम कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिल्ली में तय किये गए थे तो क्या इन सामाजों को प्रतिनिधित्व दिए जाने वाली इतनी महत्वपूर्ण बात आलाकमान के संज्ञान में नहीं आयी थी? जो ग़लतियाँ भाजपा ने करी थी, उसी को कांग्रेस दोहरा रही है।
जब मंत्रियों के नाम कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिल्ली में तय किये गए थे तो क्या इन दोनों सामाजों को प्रतिनिधित्व दिए जाने वाली इतनी महत्वपूर्ण बात आलाकमान के संज्ञान में नहीं आयी थी? यदि कांग्रेस का इन समाजों के प्रति यही रवैया रहा तो आगामी लोकसभा चुनावों में इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा।
नयी सरकार द्वारा किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य और सहकारी बैंकों से लिए गए कर्ज की कर्जमाफी के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि 90% किसानों ने साहुकारों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं जैसे नाबार्ड आदि से कर्ज लिया हुआ है। उन्हें कर्जमाफी का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा? इसे सिर्फ सहकारी बैंकों तक क्यों सीमित कर रखा है? पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने आपातकाल के दौरान किसानों के सभी प्रकार के ऋण की एकमुश्त कर्जमाफी की घोषणा की थी। ऐसा ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी करना चाहिए। तभी उनका चुनाव पूर्व जन घोषणा पत्र में किया गया वायदा पूरा होगा।
