Sunday, January 26, 2025
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85वीं अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में शामिल हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, संवैधानिक मूल्यों पर की चर्चा

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पटना।छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह जी ने आज बिहार की राजधानी पटना में आयोजित “85वीं अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन” में भाग लिया। सम्मेलन में विधानसभा अध्यक्ष जी ने “संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाए रखने में संसद एवं राज्य विधान मंडलों के योगदान” के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए डॉ. रमन सिंह जी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हमने संसदीय लोकतंत्र को अपनाया। सामान्य तौर पर यही कहा जाता है कि यह व्यवस्था हमने ब्रिटेन से ली है। लेकिन भारत में संविधान के आधार पर शासन भी अंग्रेजों की देन नहीं है, भारत में वैदिक काल से सभा, समिति एवं गण जैसी परामर्शदात्री संस्थाओं का अस्तित्व रहा है।
भारत में महाजनपद काल में वज्जिसंघ भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते थे। सभा और नगरम् जैसी पंचायतें और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन संस्थाएं भी संचालित रही। जनता ही इन संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करती थी।

उन्होंने आगे कहा कि जिस पटना की भूमि पर यह सम्मेलन हो रहा वह पाटलिपुत्र की ऐतिहासिक भूमि है जहाँ महान मौर्य वंश की शुरुआत हुई। उस समय का शासन प्रबंध कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर आधारित था। वह उस काल का संविधान ही था, जिस पर आधारित शासन व्यवस्था 500 वर्षों तक चलता रहा।

आगे डॉ रमन सिंह ने कहा कि भारत के संविधान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह जनता के द्वारा संबोधित एवं राष्ट्र को समर्पित उद्देशिका की शुरुआत होती है ‘हम भारत के लोग’ और समाप्त होता है ‘इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मा समर्पित करते हैं।’ इसका अर्थ है कि भारत का संविधान देश की जनता की भावना का प्रतिबिंब है। यह भावना स्वतंत्रता के बाद बनाए गए संविधान की ही नहीं, बल्कि हजारों वर्षों की भारत की राजनीतिक यात्रा का प्रतीक है।”

उन्होंने कहा: “संविधान की सफलता के पीछे भारतीय जनता की शक्ति है। संसद और विधान मंडलों ने संविधान के उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनका प्रमुख दायित्व देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना है। उदाहरण स्वरूप, डॉ रमन सिंह ने बताया कि वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने भारत की अखंडता को बनाये रखने के लिए अलग विधान से संचालित कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर संसद ने भारत की एकता और अखंडता को सशक्त बनाने में बड़ा योगदान दिया है। वहीं देश में RTE (शिक्षा के अधिकार कानून) ने पूरे देश में एकता और शिक्षा के प्रति सभी को अधिकार दिया है। इसी भावना को छत्तीसगढ़ में उतरते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित “भोजन का अधिकार कानून” ने हर ग़रीब की थाली तक भोजन सुनिश्चित किया और “कौशल उन्नयन का अधिकार कानून” लागू कर प्रदेश के युवाओं को अपने कौशल को निखारने का अवसर प्रदान किया है।

डॉ. रमन सिंह जी ने अगले 25 वर्षों में संसद और विधान मंडलों के योगदान पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “भारत के संविधान के 75वें वर्ष में यह संतोषजनक है कि हजारों वर्षों की गुलामी से उबरकर भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बना है। अगले 25 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने हेतु संसद और विधान मंडलों को प्रमुख योगदान देना होगा।”

साथ ही “संसद और विधान मंडलों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व डिजिटल तकनीकों से लैस करना, जनप्रतिनिधियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाना और जनता तक उनकी पहुँच बढ़ानी होगी। जनता का विश्वास अर्जित कर संसद और विधान मंडलों को अधिक उत्तरदायी बनाना ही देश के समग्र विकास की कुंजी है।”

डॉ. रमन सिंह के इस वक्तव्य ने संविधान, संसद और विधान मंडलों के महत्व को उजागर किया और देश के विकास में इनके भविष्य के योगदान की दिशा को रेखांकित किया। साथ ही देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवा और महिलाओं को अधिकाधिक आत्मनिर्भर बनाना पर जोर दिया।

पटना में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी, राज्यसभा उप-सभापति हरिवंश सिंह जी, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह जी, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव जी, उप-सभापति नरेंद्र नारायण यादव जी, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिंह जी व श्री सम्राट चौधरी जी, कैबिनेट मंत्री विजय कुमार चौधरी जी के साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी समेत देश के अन्य गणमान्य सदस्य भी इस सम्मेलन में उपस्थित रहे।

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