जांजगीर-चांपा।छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के खोखरा गांव की 60 वर्षीय गिरजाबाई बरेठ इन दिनों अपनी अनोखी आदत के चलते चर्चा का विषय बनी हुई हैं। पिछले तीन दशकों से वह नियमित रूप से ईंट और पत्थरों का सेवन कर रही हैं। उनकी इस अनोखी आदत ने न केवल गांव में, बल्कि आसपास के इलाकों में भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
कैसे शुरू हुई यह आदत?
गिरजाबाई के अनुसार, यह आदत 30 साल पहले तब शुरू हुई जब वह घर की दीवारों पर चुना लगाते समय उसकी खुशबू से आकर्षित हुईं। उन्होंने पहले चुने को चखकर देखा और धीरे-धीरे तालाब किनारे मिलने वाले पत्थरों को चबाना शुरू कर दिया। इसके बाद यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। धीरे-धीरे उन्होंने ईंटों को भी खाना शुरू कर दिया।
गिरजाबाई बताती हैं, “अगर मैं एक दिन ईंट या पत्थर नहीं खाती हूं तो मुझे बेचैनी महसूस होने लगती है। यह मेरे लिए गुटखे या तंबाकू की तरह आदत बन चुकी है।”
परिवार ने किया स्वीकार
गिरजाबाई के परिवार ने शुरुआत में उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की। उनके पोते करन बरेठ बताते हैं, “हमने कई बार दादी को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनकी यह आदत इतनी गहरी हो चुकी है कि इसे छोड़ पाना उनके लिए असंभव सा लगता है। अब तो हमने इसे स्वीकार कर लिया है। दादी दिनभर में आधे से ज्यादा ईंट खा लेती हैं।”
क्या कहती है यह आदत?
गिरजाबाई की यह अनोखी आदत चिकित्सा विज्ञान में पिका डिसऑर्डर (Pica Disorder) का संकेत हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति गैर-खाद्य पदार्थों को खाने की आदत विकसित कर लेता है। यह अक्सर पोषण की कमी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं या किसी अन्य कारण से होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदत शरीर में कैल्शियम, आयरन या अन्य पोषक तत्वों की कमी का संकेत हो सकती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इतने लंबे समय तक ईंट और पत्थर का सेवन करने के बावजूद गिरजाबाई को कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इस बात पर हैरानी जता रहे हैं कि पत्थर और ईंट का लगातार सेवन करने से पाचन तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है। यह आंतों में घाव, रुकावट या संक्रमण का कारण बन सकता है।
चिकित्सकों की राय
डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला चिकित्सा अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है। रायपुर के एक वरिष्ठ गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट के अनुसार, “पिका डिसऑर्डर के मामलों में हमने मिट्टी, राख या चॉक खाने वाले लोगों को देखा है, लेकिन ईंट और पत्थरों का इतने लंबे समय तक सेवन करना दुर्लभ है। इस महिला के मामले का गहराई से अध्ययन करना जरूरी है। इससे यह समझने में मदद मिल सकती है कि उनके शरीर ने इसे कैसे सहन किया।”
गांव में चर्चा का विषय
गिरजाबाई की इस अनोखी आदत ने गांव में सभी का ध्यान आकर्षित किया है। ग्रामीण लोग इसे आश्चर्य की नजर से देखते हैं और उनकी सेहत को लेकर चिंतित भी रहते हैं। कुछ लोग इसे एक अनोखी कुदरती विशेषता मानते हैं, तो कुछ इसे एक लत की तरह देखते हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
इस प्रकार की आदतों से छुटकारा पाने के लिए चिकित्सा परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद जरूरी है। साथ ही, अगर यह पोषण की कमी के कारण है, तो उचित आहार और सप्लीमेंट्स के माध्यम से इसे सुधारा जा सकता है।