रायपुर: छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) में गड़बड़ी करने वाले 28 निजी अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की एंटी-फ्रॉड यूनिट की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग के कई अस्पतालों की गहन जांच की गई, जिसमें फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए। इस जांच के बाद 15 अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए, जबकि 8 अस्पतालों को अस्थायी निलंबन झेलना पड़ा और 5 को कड़ी चेतावनी दी गई है।
संभावित घोटाले और आरोप
स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- मरीजों से अधिक शुल्क वसूलना: अस्पतालों द्वारा योजना के तहत मुफ्त इलाज देने के बजाय मरीजों से पैसे लिए गए।
- फर्जी दावे करना: अस्पतालों ने उन मरीजों के नाम पर बिल बनाकर भुगतान लिया, जो अस्पताल में भर्ती ही नहीं हुए थे।
- इलाज से इनकार कर योजना का गलत फायदा उठाना: कई मामलों में गरीब मरीजों को योजना के तहत इलाज देने से इनकार कर दिया गया और निजी तौर पर पैसे लेकर ही इलाज किया गया।
कड़ी कार्रवाई का फैसला
जांच रिपोर्ट में आए तथ्यों के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं।
स्वास्थ्य विभाग की सख्ती
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को मुफ्त और पारदर्शी चिकित्सा सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में जो भी अस्पताल इस योजना का दुरुपयोग करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में अन्य अस्पतालों की भी जांच की जाएगी, और यदि किसी अन्य संस्थान में गड़बड़ी पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी इसी तरह की कठोर कार्रवाई होगी।
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
यह योजना सरकार द्वारा चलाई जा रही दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसमें पात्र परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज दिया जाता है। इस योजना के तहत मरीजों को सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त उपचार की सुविधा दी जाती है, लेकिन कुछ निजी अस्पताल इसका गलत फायदा उठाकर मरीजों से पैसे वसूल रहे थे।
अस्पताल संचालकों की प्रतिक्रिया
कार्रवाई झेल रहे कुछ अस्पताल संचालकों ने इसे एकतरफा फैसला बताया और कहा कि वे अपनी सफाई स्वास्थ्य विभाग को देंगे। वहीं, कई सामाजिक संगठनों ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह गरीब मरीजों के हित में लिया गया सही निर्णय है।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि इन अस्पतालों की ओर से कोई अपील आती है तो नियमानुसार उनकी समीक्षा की जाएगी। साथ ही, राज्यभर में और कड़ी निगरानी रखने के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।