रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट को लेकर जोरदार बहस हुई। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने प्रदेश में हो रही साइबर ठगी और सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए।
गृहमंत्री विजय शर्मा ने जानकारी दी कि प्रदेशभर में 168 करोड़ रुपये की ठगी की गई, जिसमें से 5.20 करोड़ रुपये पीड़ितों को वापस कराए गए, जबकि 4.13 करोड़ रुपये होल्ड किए गए हैं। पुलिस ने 722 साइबर अपराधियों को चिन्हित किया है, जिनमें से 347 को गिरफ्तार किया जा चुका है।
अभी भी सक्रिय 1795 बैंक खाते
चंद्राकर ने सवाल किया कि 921 बैंक खातों में ठगी की रकम ट्रांजेक्शन की गई थी, लेकिन उन्हें अब तक फ्रीज क्यों नहीं किया गया? इस पर गृहमंत्री ने कहा कि ठगी की रकम अक्सर एक खाते से दूसरे खाते में शिफ्ट की जाती है। प्रारंभिक खातों को फ्रीज किया जाता है, लेकिन लिंक खातों में केवल राशि होल्ड की जाती है।
साइबर अपराध रोकने के लिए उठाए गए कदम
गृहमंत्री शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 5 संभागीय मुख्यालयों में साइबर थानों की स्थापना की गई है। साथ ही सभी 33 जिलों में साइबर सेल खोले गए हैं। साइबर क्राइम रोकने के लिए अत्याधुनिक 51 लाख रुपये की लागत से सॉफ्टवेयर खरीदा गया है।
इसके अलावा, 6 पुलिस अधिकारियों को साइबर कमांडो ट्रेनिंग दी जा रही है और 129 लोगों को इंडियन साइबर क्राइम सेंटर से प्रशिक्षण दिलाया गया है।
सवाल – साइबर विशेषज्ञों की कितनी नियुक्ति?
अजय चंद्राकर ने पूछा कि अत्याधुनिक उपकरण तो खरीद लिए गए, लेकिन उन्हें चलाने के लिए कितने विशेषज्ञ मौजूद हैं? इस पर गृहमंत्री ने जवाब दिया कि प्रदेश में साइबर विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं और राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है।
गृहमंत्री ने कहा कि डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी के साथ साइबर क्राइम भी बढ़ रहा है। केंद्र सरकार भी इसे रोकने के लिए प्रयासरत है और प्रदेश सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। राज्य में बची हुई ठगी की घटनाओं पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।