रायपुर, 17 मार्च: विधानसभा के प्रश्नकाल में सोमवार को लोक निर्माण विभाग (PWD), DMF (जिला खनिज न्यास निधि) और CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) मद के खर्चों को लेकर तीखी बहस हुई। विधायकों ने विभागीय पारदर्शिता और श्रमिकों के हक की अनदेखी पर सरकार से जवाब मांगा।
PWD के खर्चों पर सवाल
बिलासपुर संभाग में लोक निर्माण विभाग द्वारा मरम्मत और विद्युतीकरण कार्यों पर खर्च की गई राशि का विवरण कई देयकों में दर्ज नहीं होने को लेकर विधायक राघवेंद्र सिंह ने सवाल उठाया। जवाब में मंत्री अरुण साव ने कहा कि कई बार छोटे कार्यों, जैसे ट्यूबलाइट बदलने का भुगतान सामूहिक रूप से किया जाता है, इसलिए स्थान का स्पष्ट उल्लेख नहीं होता।
DMF और CSR मद में गड़बड़ी का आरोप
विधायक लखेश्वर बघेल ने पूछा कि 2024-25 में DMF और CSR मद से किन-किन कार्यों पर खर्च किया गया और इन फंडों के उपयोग की कोई तय सीमा है या नहीं। इस पर मंत्री लखनलाल देवांगन ने कहा कि स्वीकृत बैठकों के आधार पर ही सामग्री खरीदी जाती है, और यदि कोई शिकायत होगी तो जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि फरवरी 2024 में स्वासी परिषद की बैठक हुई थी, लेकिन नई गाइडलाइन आने के कारण अब जल्द ही बैठक आयोजित की जाएगी।
रेलवे श्रमिकों के भुगतान पर घिरी सरकार
विधायक अटल श्रीवास्तव ने करगी रोड की पाटिल रेल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि श्रमिकों के भुगतान में देरी हो रही है और CSR मद से कोई कार्य नहीं कराया जा रहा। इस पर मंत्री लखनलाल देवांगन ने कहा कि अभी तक ऐसी कोई शिकायत उनके पास नहीं आई, लेकिन यदि कोई शिकायत आती है तो जांच कराई जाएगी।
अब बड़ा सवाल – होगी क्या कार्रवाई?
विधानसभा में उठे इन सवालों के बाद अब निगाहें सरकार की अगली कार्रवाई पर हैं। क्या PWD के गड़बड़ियों की जांच होगी? DMF और CSR फंड के सही उपयोग की निगरानी बढ़ेगी? और क्या श्रमिकों को उनका पूरा भुगतान मिलेगा? इन सवालों के जवाब समय के साथ सामने आएंगे।