Tuesday, July 1, 2025
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बस्तर को रेल से जोड़ने की ऐतिहासिक पहल को मिली मंजूरी रावघाट-जगदलपुर नई रेललाइन को केंद्र सरकार की स्वीकृति, बस्तर में विकास की नई सुबह

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रायपुर, 8 मई। बस्तर अंचल को देश के रेल मानचित्र से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार ने रावघाट-जगदलपुर (140 किमी) नई रेललाइन परियोजना को स्वीकृति दे दी है। 3513.11 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को केंद्रीय बजट से वित्तपोषित किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय बस्तर के लिए ऐतिहासिक साबित होगा।

कोंडागांव और नारायणपुर को पहली बार रेल से जोड़ेगी यह परियोजना
इस परियोजना के माध्यम से कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर जैसे आदिवासी बहुल और अब तक रेलविहीन जिलों को पहली बार रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इससे स्थानीय नागरिकों के लिए यातायात, व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुँच आसान होगी, साथ ही क्षेत्रीय पर्यटन को भी गति मिलेगी।

अर्थव्यवस्था और रोजगार को मिलेगा बल
नई रेललाइन से खनिज संसाधनों के परिवहन में सुविधा होगी और स्थानीय उत्पादों की पहुँच राष्ट्रीय बाजारों तक बनेगी। इससे किसानों, कारीगरों और छोटे व्यवसायियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। साथ ही निर्माण कार्य और बाद की सेवाओं में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की सशक्त पहल
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह परियोजना न केवल बस्तर के विकास में मील का पत्थर है, बल्कि नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य इस परियोजना के माध्यम से और सशक्त होगा।

भूमि अधिग्रहण का कार्य अंतिम चरण में
रेललाइन के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, जिससे निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होने की संभावना है। सरकार का प्रयास है कि परियोजना को तय समय-सीमा में पूर्ण किया जाए।

‘बस्तर पण्डुम’ में भी दिखा विकास का संकल्प
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हाल ही में बस्तर दौरे के दौरान ‘बस्तर पण्डुम’ जैसे आयोजन में भाग लेना यह दर्शाता है कि अब बस्तर में केवल विकास की गूंज सुनाई देगी।

बस्तर के लिए नहीं, पूरे देश के लिए मिसाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि रावघाट-जगदलपुर रेललाइन केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि यह समावेशी विकास की मजबूत मिसाल है। इससे स्पष्ट है कि अब विकास केवल शहरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बस्तर जैसे दूरस्थ अंचल भी राष्ट्रीय विकास की धारा से जुड़ेंगे।


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