Tuesday, July 15, 2025
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सड़क नहीं, फिर भी बच गई जान: गरियाबंद के ग्रामीणों ने बनाया ‘कांवड़ एम्बुलेंस’

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भालुडिग्गी गांव में साँप के काटे गए मरीज को 10 किमी पैदल चलकर पहुँचाया अस्पताल

गरियाबंद/मैनपुर। आज़ादी के 76 साल बाद भी गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के कई गाँव सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ऐसी ही एक बस्ती है भालुडिग्गी, जो कुल्हाड़ीघाट इलाके में स्थित है। यहां के ग्रामीणों ने मानवीयता और साहस की मिसाल पेश करते हुए एक युवक की जान बचाई, जिसे साँप ने काट लिया था।

घटना के अनुसार, युवक को साँप ने काट लिया, जिससे वह बेहोश हो गया। गांव में न तो इलाज की सुविधा है और न ही सड़क मार्ग। एम्बुलेंस बुलाने की कोशिश की गई, लेकिन खराब रास्तों के कारण वह गांव तक नहीं पहुँच सकी। ऐसे हालात में ग्रामीणों ने तत्काल लकड़ी और कपड़े की मदद से एक ‘कांवड़ एम्बुलेंस’ तैयार की।

करीब 10 किलोमीटर की खड़ी पहाड़ी और दुर्गम रास्तों को पार करते हुए ग्रामीण मरीज को कंधे पर उठाकर कुल्हाड़ीघाट तक लाए, जहां से एम्बुलेंस सुविधा मिल सकी। वहां से उसे मैनपुर अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ समय पर इलाज मिलने से उसकी जान बच सकी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से गांव में सड़क बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल नहीं हुई। इस घटना ने एक बार फिर क्षेत्र की बदहाल स्थिति को उजागर कर दिया है।

ग्रामीण बोले – ‘सड़क नहीं होती तो जान नहीं बचती’

एक ग्रामीण ने बताया, “अगर हम समय पर कांवड़ बनाकर नहीं चलते, तो मरीज की जान जाना तय थी। यह कोई पहला मौका नहीं है जब हमने ऐसे हालात में किसी को ढोकर लाया हो।”

प्रशासन की अनदेखी से नाराज़ ग्रामीण

भालुडिग्गी और आस-पास के कई गांव आज भी सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द सड़क निर्माण कराया जाए।


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