रिपोर्ट / रवि कुमार / 9630308757
00 बच्चों के स्वच्छता व स्वास्थ्य पर असर
00 भवन निर्माण के समय नहीं की गई व्यवस्था
00 पेयजल सुविधाविहीन 1500 आंगनबाड़ी एवं मिनी आंगनबाडी केंद्र –
1 चिरमिरी – शहरी – 64
2 बैकुन्डपुर – ग्रामीण -299
3 भरतपुर – 285
4 जनकपुर- 285
5 खड़गावा- 244
6 मनेन्द्रगढ़ -24
7 सोनहत – 150
कोरिया / महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वावधान में संचालित 1357 आंगनबाड़ी एंव 418 मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है। विभाग की ओर से 1775 केंद्रों के लिए निर्मित भवन में से 1575 में अभी तक पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। पानी की कमी का सीधा असर स्वच्छता व बच्चों के पोषण पर पड़ रहा है।
महिलाओं व बच्चों के विकास के लिए योजनाओं का संचालन विगत कई साल से आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से किया जा रहा है। योजनाओं के विकेंद्रीकरण के लिए के लिए जगह-जगह आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन को स्वीकृति दी गई है, किंतु इन केंद्रों में प्राथमिक सुविधा पेयजल आपूर्ति को नजरअंदाज किया गया है। पेयजल सुविधाविहीन आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका द्वारा गुंडी या टब में पानी लाकर रख दिया जाता है। पर्याप्त पेयजल की सुविधा नहीं होने कारण गंदे हाथों से बच्चे पानी निकाल कर पी लेते हैं। पर्याप्त पानी नहीं होने कारण केंद्र की सफाई भी नहीं की जाती। संचालित केंद्रों में 135 आंगनबाड़ी के लिए अभी तक भवन का निर्माण नहीं हो सका है। भवन सुविधा के अभाव में पहले से ही योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित है। अब भी कच्चे आवासों अथाव टपरों में ही आंगनबाड़ी भवन का संचालन किया जा रहा है। यहां भी पेयजल की सुविधा नहीं है। असुविधाओं से जूझ रहे केंद्रों में ज्यादात ग्रामीण क्षेत्र से हैं। कार्यकर्ता व सहायिका दूरदराज से पानी लाती हैं। कई केंद्रों में बच्चों को ढोढ़ी अथवा नदी, तालाब जैसे खुले जलस्त्रोत का पानी पिलाया जा रहा है। ग्रीष्म का समय होने कारण पानी की अधिक खपत हो रही है। लिहाजा सहायिका व कार्यकर्ता बार-बार पानी लाने से बचते हैं। पेयजल की असुविधा के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति प्रभावित है।
भोजन के पहले नहीं धुलवाया जाता हाथ
केंद्रों में प्रतिदिन गर्म भोजन बच्चों को परोसा जाता है, किंतु पानी की कमी की वजह से भोजन के पहले बच्चों को हाथ नहीं धुलवाया जाता है। इसके अलावा भोजन पकाने से लेकर बर्तनों की साफ सफाई के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन कम पानी में आनन-फानन में बर्तनों को धोकर रख दिया जाता है। सही सफाई नहीं होने कारण बच्चों के सुपोषण पर इसका असर देखा जा रहा है।
शौचालय सुविधा पर ग्रहण
विडंबना तो यह है कि पानी की सुविधा उपलब्ध कराए बगैर ही आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय का निर्माण कराया है। ऐसे में निर्मित शौचालय की उपयोगिता बेकार ही साबित हो रही है। जलापूर्ति सुविधा के लिए जिन केंद्रों में हैंडपंप लगाए गए हैं, वह ठप हो चुका है। पेयजल आपूर्ति असुविधा के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति प्रभावित है।
राजेन्द्र कष्यप जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग –
पेयजल सुविधा आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन की अनुसंशा पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से कहा गया है। 1500 ऐसे केंद्र हैं जहां पेयजल सुविधा के मद्देनजर हैंडपंप अथवा बोर की आवश्यकता है। पानी की असुविधा केंद्रों में न हो इसके लिए सहायिका कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है।