रिपोर्ट / राकेश सिंह / 09753486167
00 उठाव नही तो एसईसीएल की तीन खदानों मे रुका उत्पादन, खान बंद
कोरिया / एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र की तीन कोयला खदानों मे कोयला उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया है। कारणों में सिर्फ उड़ती हुई चर्चाओ के मुताबित एसईसीएल की चिरमिरी की खदानों से निकले कोयले का उठाव नही होना वजह बताया जा रहा है जिसके कारण हजारों टन कोयला डम्प बेकार पड़ा हुआ है। वहीं तस्वीरें भी इस बात का जिन्दा सबूत है। हलांकि इस मसले पर एसईसीएल के रहनुमाओं के तरफ से कोई अधिकृत बयान अभी तक नही आ सका है।
सूत्रों के हवाले से आयी इस खबर को लेकर क्षेत्र मे उहापोह की स्थिति है। दरअसल एनसीपीएच की खदान नंबर 2 , 3 और R 6 मे उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। क्षेत्र मे संचालित कोयला खदानों पर अगर नजर डाले तो रानीअटारी, कुरासिया, बरतुगा , ओसीएम सहित एनसीपीएच की तीन खदाने वर्तमान मे संचालित है जिसमे से तकरीबन सभी मे कूल उत्पादन प्रभावित है। अभी हाल ही मे एनसीपीएच की तीनों खदानों से उत्पादन बंद कर दिया गया है। उत्पादन बंद करने का कारण कोयले का बेहिसाब स्टाॅक होना बताया जा रहा है। इस संबंध मे यह भी जानकारी मिली है कि तकरीबन बंद सी हो चली सभी कोयला खदानों से उत्पादित कोयला लाखों टन की तादाद मे स्टोर पड़ा हुआ है लेकिन उसका उठाव नही हो पा रहा है। मसलन यह सबसे बड़ा कारण है कि जब उठाव ही नही होगा तो उत्पादन किस लिहाज से होगा। दिलचस्प तब हो जाता है जब उत्पादन के अनुपात मे कोयला स्टोर करके रखने की जगह भी कम पड़ जाये। चिरमिरी की रिड़ की हड्डी यह वह कोयला खदानें है और इन्ही से चिरमिरी का वजूद और इसकी आबादी जुड़ी हुई है। बीते समय से लेकर अब तक चिरमिरी की कई कोयला खदाने बंद हो चली है ऐसे मे डरा देने वाला सच यह भी है कि यदि इसी तरह कोयले का उठाव न हुआ तो फिर चिरमिरी का वजूद समाप्त होने की कगार पर आ जायेगा।
संकट मे है चिरमिरी के श्रमिक – जिस तरह से चिरमिरी की कोयला खदानें बंद होती जा रही है उससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि जहां एक ओर इनमे काम करने वाले श्रमिकों का भविष्य भी संकट मे पड़ जायेगा। इतना ही नही इलाके की आबादी और यहां का व्यवसाय लगभग-लगभग चिरमिरी की कोयला खदानों मे काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या पर ही निर्भर करता है। लिहाजा जब कोल श्रमिक ही संकट मे होंगे तो यहां का व्यवसाय भी प्रभावित होगा। गौरतलब है कि हाल ही मे उत्पादन बंद हुई कोयला खदान एनसीपीएच मे लगभग 2100 श्रमिक कार्यरत् है।
बहुत जल्द तबादले की गिर सकती है गाज – बंद होती कोयला खदानों की वजह से जहां एक ओर रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर इन खदानों मे काम करने वाले श्रमिक और अधिकारियों की यहां पदस्थापना के माईने भी लगभग समाप्त से हो चले है। फिलहाल माना जा सकता है यदि खदानों मे उत्पादन नही होगा और यूं ही ये बंद होती रहेंगी तो कर्मचारियों के तबादले भी होना लाजमी है।
आग के हवाले लाखों टन कोयला – आंकड़ों की माने तो चिरमिरी मे मौजूदा स्थिति मे तकरीबन 11 लाख टन कोयला स्टोर है। जिसका उठाव समय पर नही होने की वजह से इनमे अब आग लग चुकी है और यह आग धीरे-धीरे सुलगते हुए काले हीरे को राख मे भी तब्दिल करती जा रही है। जहां एक ओर उत्पादन न होने से एसईसीएल को करोड़ों का नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर कोयले की यह आग उसमे और इजाफा कर रही है। बहरहाल आग को बूझाने की कवायते भी तेज कर दी गई है। आग बुझाने के लिये जहां एक ओर पानी का छिड़काव किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर कोयले पर रेत की परत चढ़ाई जा रही है।