कोरिया / सूबे के श्रम, खेल – युवा जन कल्याण एवं शिकायत मंत्री भईयालाल राजवाड़े कभी गलत बयानबाजी को लेकर चर्चा में रहते है तो कभी अपने पोशाक यानी पहनावें को लेकर।
इस बात में बिलकुल भी दो राय नही है कि जिस तेजी से इलाके के लालो में लाल कहलाने वाले भईयालाल बदलते दौर में अपने आप को बदल रहे है। पहले महज एक कॉलरी कर्मी और अब प्रदेश के केबिनेट मंत्री, यह वाकया भी किसी अजूबे के समान ही लगता है जिसे सच कर दिखाया है श्री राजवाड़े ने।
समय बदलता गया और भाग्य ने भी भरपुर साथ दिया, साथ ही राजनैतिक परिस्थितियों ने भी करवट ली और फिर सफर तय करते हुए यह ओहदा मिला। लेकिन ओहदे के साथ मंत्री जी ने तो अपना रंग ही बदलना शुरू कर दिया। न जाने वो क्या कारण थे पर पहले सिर्फ और सिर्फ साधारण कुर्ता पायजामा एक सीनियर नेता की तरह दिखाई पड़ने वाले भईयालाल ने समय के साथ खुद के पोशाक भी बदल डाले। धीरे – धीरे बदन से कुर्ता पायजामा हटा, शूट – बूट वाले रंग में दिखने लगे और जब पहली बार विधायक बने सरकार ने उन्हें संसदीय सचिव बना दिया, अब उस समय भी पद मिलने के बाद श्री राजवाड़े ने अपने ऊपर बदलाव किया। सर में कम बालों की वजह से बिग पहना, चर्चाओं से बाजार उस वक्त भी गर्म हुआ। उस दौरान कई करीबी माने जाने वालों ने भी काफी टोका पर कहाँ मानने वाले थे श्री राजवाड़े।
यह शिलशिला जारी रहा सच बात तो यह भी है कि उन्होंने कभी किसी की सुनी ही नही। उस दौर के बाद एक आज का दौर है उनका ऐसा पोशाक जो शायद हर मंच पर ठीक नही बैठता हो उन्हें इस बात की चिंता नही।

दूसरे कार्यकाल में जब वो मंत्री बने तो भी शूट-बूट ही था उस वक्त उनसें जुड़ा उनका नया साथी उनकी टोपी….और फिर पहुचे शपथ ग्रहण समारोह राजभवन। इस नए अंदाज में वो एकदम युवा दिखाई पड़ रहे थे। इसी वक्त लोग उस समय हैरान रह गए कि ये नेताजी हैं या कोई राजभवन के अधिकारी। यह दृश्य देख भाजपा के आला पदाधिकारी भी हक्का – बक्का हो गए थे।
इसके बाद विभाग बटवारे की बारी थी तो मुखिया ने भी उन्हें बना दिया युवा मामलों का मंत्री और यहां तक कह दिया की युवाओं जैसे बनकर आये थे अब मिल गया है न युवा विभाग अच्छे से काम कीजिये। मुखिया का यह तंज भरा शब्द उस वक़्त तो राजवाड़े जी ने भी हँसकर टाल दिया। समय बीतता गया और समय के साथ ही उन्होंने परिधानों में खास दिलचस्पी दिखाई, रंग बिरंगे हाफ जैकेट सर पर बदलते टोपियों का स्वरूप। यहां तक कि दिन हो या रात चश्मे का कलर भी काला। ऐसे में कुछ माह पूर्व केबिनेट बैठक में मुखिया को भी यह कहना पड़ गया कि रात में भी टोपी – चश्मा पहन के सोते हो क्या भैयालाल जी।
अभी हाल ही में एक औऱ मंच पर सामूहिक रूप से श्री राजवाड़े लज्जित हुए लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नही पड़ने वाला। यह वक़्त था अम्बिकापुर में भारी जनसमुदाय के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की मौजूदगी में धान बोनस उत्सव के मंच पर तमाम बड़े नेताओं के साथ राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम भी थे, जब नेताम को बोलने का मौका मिला तो वे श्री राजवाड़े का ड्रेस देख टिप्पणी करने से खुद को नही रोक पाए, यहीं नही बकायदे उन्हें सर्वजनिक रूप से खड़े कराकर अभिवादन भी करा दिया। यह देखकर कई नेता भी स्तब्ध रह गए लेकिन एक बार फिर श्री भैयालाल ने इसे अपने लिए गर्व समझ लिया लेकिन यह स्थिति एक केबिनेट मंत्री के लिए कम से कम सही नही है।
बहरहाल जगह – जगह पर लोगो के टीका टिप्पणी को भले ही वे सामान्य लेते हों लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि अब वे सामान्य नही हैं। उनके साथ एक प्रोटोकाल जुड़ा हुआ है। आप प्रदेश स्तरीय नेता हो चुके हैं। आपको तो बहुत ही शालीन और साधारण रहना चाहिये। मंत्री महोदय अब भी वक़्त है, ऐसा न हो कि अपने कपड़े और चश्मे को लेकर आप जनता की नजर में हँसी के पात्र न बन जाएं। हालांकि कई मौके पर उन्होंने कहा भी है कि मैं कपड़ो पर ध्यान नही देता अपने काम पर ध्यान देता हूँ, लेकिन ये पब्लिक है मंत्री जी ये तो सब पर ध्यान देती है।
जनता को मंत्री के अपमान से ठेस पहुँचा –
सूबे में चाहे मंत्री जी गलत बयानबाजी और अपनी पोशाक के लिए अपमानित हो। इलाके की जनता व करीबियों को इस बात से हमेशा ठेस पहुँचता है। इनके काम और काबिलियत को जनता बखूबी जानने पहचानने लगी है। आमजनों के बीच इनका सरल और मिलनसार स्वभाव ही है जो जनता के दिलों में उस वक्त तेजी से धड़कता है जब श्री राजवाड़े के बारे में कुछ गलत बाते करता है। इन सब के वावजूद जनता चाहती है कि आखिर हम ऐसा मौका ही क्यों देते है लोगों को जो उन्हें बोलनी पड़े और जनता को झेलनी।

